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फाटक क्षतिग्रस्त मामले में अभियंताओं समेत 8 पर प्राथमिकी

बगहा। गंडक बराज का फाटक क्षतिग्रस्त होने के मामले में गठित जांच टीम ने इसके लिए अभियंताओं और बराज पर

By Edited By: Published: Sat, 23 Jul 2016 11:35 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jul 2016 11:35 PM (IST)

बगहा। गंडक बराज का फाटक क्षतिग्रस्त होने के मामले में गठित जांच टीम ने इसके लिए अभियंताओं और बराज पर तैनात कर्मियों को दोषी माना है। शुक्रवार की देर शाम वाल्मीकिनगर पहुंचे एसडीओ धर्मेद्र कुमार ने सहायक अभियंता समेत आठ लोगों पर प्राथमिकी दर्ज कराई है। प्राथमिकी में सहायक अभियंता सुबोध कुमार शर्मा, कनीय अभियंता रंजन कुमार, निम्नवर्गीय लेखा लिपिक अभिमन्यु शर्मा, कार्यालय परिचारी ओमप्रकाश महतो, शत्रुघ्न राम, स्काडा ऑपरेटर मनीष कुमार, मनीष तिवारी समेत एक अन्य को नामजद किया गया है। एसडीओ श्री कुमार ने बताया कि बराज के फाटक संख्या 33 के मुड़ने की मुख्य वजह अभियंताओं और कर्मियों की घोर लापरवाही है। नामजद कर्मियों पर कठोरतम कार्रवाई की अनुशंसा के साथ जिलाधिकारी को पत्राचार किया गया है। इसके अलावा अभियंताओं पर प्रपत्र 'क' के गठन की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। दूसरी ओर वाल्मीकिनगर के सांसद सतीश चंद्र दूबे ने आज बराज का मुआयना किया और अभियंताओं से इस संबंध में जानकारी ली। उन्हेांने पत्रकारों को बताया कि राज्य सरकार की उदासीनता के कारण ही गंडक बराज खतरे में है। भारत के एक धरोहर की सुरक्षा भी बिहार सरकार नहीं कर पा रही है। उन्होंने कहा कि जलसंसाधन मंत्री ने हाल में ही खुद दो बार बराज का निरीक्षण किया। कई खामियां उजागर हुई। लेकिन समय रहते उसका निष्पादन नहीं किया गया। परिणामस्वरूप बराज समेत इससे निकलीं नहरों की स्थिति भी जर्जर है। इसका लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है। पनबिजली योजना के पुरजोर लाभ से भी जिले के ग्रामीण वंचित हैं। यह बिहार सरकार की लापरवाही का एक प्रतीक बन गया है। अभियंताओं की लापरवाही से बराज का गेट क्षतिग्रस्त हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार इसकी सुरक्षा के लिए हर संभव मदद करेगी।

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स्काडा सिस्टम पर भरोसा करना पड़ा महंगा

गंडक बराज के गेटों के परिचालन हेतु तीन सिस्टम लगाए गए हैं। स्काडा सिस्टम के माध्यम से नियंत्रण कक्ष में लगे पैनल से, गेटों के उपर लगे पैनल से और मैनुअल सिस्टम से। मैनुअल सिस्टम कारगर व भरोसेमंद होता है। यदि समय रहते मौसमी मजदूर रखे गए होते और स्काडा सिस्टम पर भरोसा नहीं किया गया होता तो आज 33 नंबर फाटक बच सकता था। ऐसे में गंडक बराज के अभियंताओं को स्काडा सिस्टम पर भरोसा करना महंगा पड़ गया।

13 करोड़ रुपये पानी में

नेपाल में हुई मूसलाधार बारिश से गंडक नदी का जलस्तर 3 लाख 10 हजार को पार कर गया है। ऐसे में गंडक बराज के कई गेटों की स्थिति अच्छी नहीं होने व अत्याधिक जल दबाव पर बीते 22 जुलाई की घटना हो सकती है। बता दें कि तीन वर्ष पूर्व 13 करोड़ रुपये की लागत से गंडक बराज के गेटों की पुनस्र्थापना का कार्य कराया गया था। आर.एन सिन्हा एंड कंपनी कोलकाता ने गेटों की मरम्मत कर ओटोमेशन सिस्टम लगाया था। कंपनी का करार समाप्त होने के बाद एक वर्ष तक इसका संचालन विभाग ने किया। फिलहाल पाई सिस्टम पटना के जिम्मे गंडक बराज के गेटों के मेंटेनेंस का काम सौंपा गया है। 33 नंबर गेट क्षतिग्रस्त होने के बाद से पाई सिस्टम पटना पर विभागीय कार्रवाई की जा रही है। यहां बता दें कि गंडक बराज की डिजायनिंग डिस्चार्ज झमता 8 लाख 50 हजार क्यूसेक की है।


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