'ब्लैकआउट' हो रहा 72 मेडिकल स्टूडेंट का भविष्य
बेतिया। सरकारी मेडिकल कॉलेज के भविष्य को संवारने के लिए हम एमसीआई की टीम के सामने चाहे जो नाटकीय दृश
बेतिया। सरकारी मेडिकल कॉलेज के भविष्य को संवारने के लिए हम एमसीआई की टीम के सामने चाहे जो नाटकीय दृश्य प्रस्तुत कर लें लेकिन सच्चाई यही है कि बेतिया मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले लगभग 72 छात्र छात्राओं का भविष्य ब्लैक आउट हो चुका है। प्रथम वर्ष की 'एनाटोमी' द्वितीय वर्ष का 'वार्ड टिचिंग' व तृतीय वर्ष की 'कंपलीट वार्ड टिचिंग' के नाम पर यहां सिर्फ कोरम पूरा किया जा रहा है। दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, बिहार व झारखंड से यहां मेडिकल की पढ़ाई करने पहुंचे इन छात्रों को अभी से यूनिवर्सिटी एक्जाम की चिंताएं सता रही हैं। कहने को तो इन छात्रों को पढ़ाने के लिए कुल 80 प्रोफेसर की एक टीम खड़ी की गयी है लेकिन एक भी प्रोफेसर ऐसे नहीं है जो यहां रहकर अपने छात्र छात्राओं को 'वार्ड टिचिंग' में मदद करते हों। यहां पढ़ाने वाले प्रोफेसर आने के साथ ही वापस पटना जाने का प्रोग्राम बनाने लगते हैं। सुबह नौ बजे से क्लास को पहुंचने वाले प्रोफेसर तीन या चार बजे तक मछली लोक को पार कर चुके होते हैं। सबसे अधिक महत्व वाली पढ़ाई 'वार्ड टिचिंग ' का तो यहां मानो कोई परिपाटी ही नहीं है जबकि इसी के माध्यम से मेडिकल के छात्र छात्राएं 'पेसेंट सिम्पटम', 'डायगनोसिस','साइकोलॉजी ऑफ पेसेंट' आदि का अध्ययन करते हैं। इस मामले में बेतिया के गवर्मेट मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था को अगर जीरो अंक दिया जाए तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। पीएमसीएच, डीएमसीएच,भागलपुर, दरभंगा व सासाराम से जुड़ें यहां के प्रोफेसर को यहां रहने के एवज में मोटी रकम दी जाती है लेकिन किसी भी प्रोफेसर को बेतिया रहने में लेशमात्र भी दिलचस्पी नहीं है। अव्वल तो यह है कि सूबे सहित आसपास के कई सूबे का यह पहला मेडिकल कॉलेज है जहां छात्र छात्राओं को 'स्पेशल असाइनमेंट' 'जर्नल्स' व 'थेसिस' के अध्ययन के लिए किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है। लाइब्रेरी के नाम पर खानापूर्ति तो कर दी गयी है लेकिन विगत कई माह से स्थायी तौर पर बतौर लाइब्रेरियन किसी की पदस्थापना नहीं की गयी है। इससे यहां के छात्र छात्राओं को हर सामान्य व विशेष पुस्तकों के लिए राजधानी का दौड़ लगाना पड़ता है। संभवत: यही कारण है कि परीक्षाफल में यहां के टॉपर छात्र को महज 69 फिसद अंक पाकर ही संतोष करना पड़ा। कुछ छात्रों को तो सप्लीमेंट्री की परीक्षाएं पास कर द्वितीय वर्ष में जाने का मौका मिला। द्वितीय वर्ष के छात्र अब तृतीय वर्ष में जाने की तैयारी कर रहे हैं लेकिन अभी तक उन्हें लैबोरेटरी में जाकर अनुभव प्राप्त करने का कोई अवसर नहीं मिला है जबकि दिसंबर अथवा जनवरी माह में ही उन्होंने विश्वविद्यालय स्तर पर आयोजित होने वाले परीक्षा में शामिल होना हैं। एनाटॉमी की वांछित सुविधा नहीं होने के कारण छात्र छात्राओं को 'डिसेक्शन' अथवा शवों के काट छांट से जुड़े अध्ययन का मौका नहीं मिल पाता है। ऐसे में सर्जरी से जुड़े छात्र भविष्य में कैसे डॉक्टर बनेंगे इसका सहज कल्पना किया जा सकता है। अव्वल तो यह है कि संसाधनों के लिए सरकार की ओर से पूरी राशि उपलब्ध करा दी गयी है लेकिन सिस्टम के मारे यहां के अधिकारी इतने सुस्त और लापरवाह है कि यहां अध्ययन करने वाले सैकड़ों छात्र छात्राओं के अंधकारमय भविष्य की मानो उन्हें कोई चिंता ही नहीं है।
इनसेट
सहमी रहती है अध्ययन को आयी बाइस छात्राएं
बेतिया: मेडिकल कॉलेज में पढ़कर डॉक्टर बनने को यहां पहुंची करीब 22 छात्राओं को प्रतिदिन कई प्रकार की असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। पुस्तकों के लिए सीनियर की चिरौरी करनी पड़ती है तो जर्नल्स व अध्ययन की अन्य सामग्रियों के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है।
इनसेट
प्रैक्टिल जीरो, थ्योरी पर टिकी है मेडिकल की पढ़ाई
बेतिया: मामला चाहे एनाटोमी से जुड़े डिसेक्शन का हो अथवा वार्ड टिचिंग का हो। बेतिया मेडिकल कॉलेज में पेसेंट के हावभाव व बीमारी के लक्ष्णों व उनके इलाज के लिए प्रैक्टिकल ज्ञान के लिए किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं है। इससे छात्र भी यहा के माहौल में अभ्यस्त होकर किसी तरह समय काट रहे हैं।
इनसेट
एमसीआई के सामने होता 'हाई वोल्टेज' ड्रामा
बेतिया: गर्वमेंट मेडिकल कॉलेज बेतिया में अध्ययन को लेकर उपलब्ध सुविधाओं व संसाधनों की जांच करने जब भी एमसीआई की टीम यहां आती है तो यहां के चिकित्सकों के द्वारा हाई वोल्टेज ड्रामा कर टीम के सामने सबकुछ सही है का दृश्य प्रस्तुत कर दिया जाता है ताकि मान्यता बरकरार रह सके। ऐसे में बिना संसाधन के मेडिकल की पढ़ाई जैसे गंभीर पढ़ाई को हल्के में करने वाले यहां के छात्र छात्राओं का भविष्य कैसा होगा इसका सहजता के साथ अनुमान लगाया जा सकता है।
इनसेट बयान
'सुविधाओं में बढ़ोतरी के लिए पूरी कोशिश की जा रही है। सफलताएं भी मिली है और आने वाले दिनों में संसाधन व सुविधाओं में और भी बढ़ोतरी की जाएगी।'
डा राजीव रंजन प्रसाद,प्राचार्य गर्वमेंट मेडिकल कॉलेज,बेतिया