बनवरिया शिवालय : यहा भक्तों की होती मनोकामना पूरी
बेतिया। उत्तर बिहार के प्रसिद्ध शिवालयों में से एक बनवरिया शिवालय का अपना अलग महत्व है। कहते हैं सच्
बेतिया। उत्तर बिहार के प्रसिद्ध शिवालयों में से एक बनवरिया शिवालय का अपना अलग महत्व है। कहते हैं सच्चे दिल से यहां जो मांगो बाबा जरूर पूरी करते हैं। इस मन्दिर में चंपारण के अलावा उत्तरप्रदेश और नेपाल से भी श्रद्धालु यहां पहुंच कर मन्नतें मांगते और पूरा होने पर भगवान भोलेनाथ की कथा सुनते है। यही नहीं विवाह के बाद सुहागिन महिलाएं प्रथम सिंदूर बगल में स्थित मां पार्वती को चढ़ाकर सदा सुहागिन रहने की कामना करती हैं। यहां बेटियां जब शादी के बाद बाबा का दर्शन करने आती हैं तो अक्सर उनके मां बाप और सखी सहेलियों से भेंट हो जाया करती है। वर्ष मे बसंत पंचमी वैशाख त्रयोदशी के साथ फाल्गुन मास तथा श्रावण मास मे महीनों तक भक्तों का तांता लगा रहता है। वहीं, मुंडन संस्कार, उपनयन संस्कार और शादी ब्याह के लिए चंपारण के लोग बनवरिया बाबा स्थान को सबसे पवित्र स्थान मानते हैं।
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गुप्तकाल में हुआ मंदिर का निर्माण
कहा जाता है कि बनवरिया शिवालय की स्थापना गुप्त काल में हुई थी। भारत को स्वर्णयुग बनाने वाला शासक चन्द्रगुप्त अपने गुरू आचार्य चाणक्य से इसी स्थान पर शिवजी की अर्चना कर विचार विमर्श कर राजनीति को अंजाम देने की बात सामने आती है। ऐसा इसलिए कि यह मन्दिर नन्दनगढ़ लौरिया और चानकीगढ़ के बीचों बीच अवस्थित है। तालाबों से घिरा मन्दिर कई मायनों में खास है। ऐसा प्रतीत होता है कि बनवरिया शिवालय की स्थापना गुप्त काल मे ही हुई है। तालाब मे सफाई के दौरान लकड़ी पर बनी दुर्लभ सीढि़यां प्राप्त हुई जो अपने आप में दुर्लभ है।
------------------------ बनवरिया शिव बाबा के दर्शन मात्र से कल्याण
आचार्य मार्कण्डेय मणि त्रिपाठी उर्फ मणि बाबा बताते हैं कि बनवरिया शिवालय का शिवलिंग अपने आप मे अदभूत है। यहां दर्शन करने मात्र से समस्त दु:खो का नाश हो जाता है। बनवरिया का शिवलिंग दुर्लभ शिवलिंगो मे से एक है। यह स्थान इसलिए प्रसिद्ध है क्योकि यहां सूर्य वेध तालाब है जो वीरले कहीं देखने को मिलता है।