भारत अपनी संस्कृति के बल पर विश्वगुरु था : कृष्ण मोहन
बेतिया। 'गुरु' सबसे महान होता है, एक सच्चा गुरु ही हमें अच्छे-बुरे की पहचान कराता है। इसलिए गुरु के
बेतिया। 'गुरु' सबसे महान होता है, एक सच्चा गुरु ही हमें अच्छे-बुरे की पहचान कराता है। इसलिए गुरु के बिना ज्ञान असंभव है।' उपरोक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इलमराम चौक स्थित यमुना प्रसाद धर्मशाला में आयोजित गुरु पूर्णिमा उत्सव में सेवानिवृत्त प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी श्री विमलाकांत जी ने कही। बता दें कि गुरुपूर्णिमा आषाढ़ महीने के पूर्णिमा को मनाया जाता है। आरएसएस प्रतिवर्ष इस गुरु पूर्णिमा को उत्सव के रूप में मनाती है। कृष्ण मोहन वर्मा ने
कहा कि भारत अपनी संस्कृति के बल पर विश्व गुरु था। और वह दिन दूर नहीं जब फिर विश्व पटल पर भारत पुन: अपनी ख्याति बिखरेगा। उन्होंने कहा कि भगवाध्वज ही हमारा सच्चा गुरु है। क्योंकि यह हमारी संस्कृति का प्रतीक है। महाभारत काल से अबतक भगवाध्वज हमारे तेज और यश का प्रतीक है। इसके प्रति सभी का समर्पण आवश्यक है। वहीं, कार्यवाहक गोविंद जी और बौद्धिक प्रमुख इंद्रभूषण जी ने शाखा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चरित्र निर्माण का सबसे उत्तम स्थल शाखा ही है। शाखा का लक्ष्य ही व्यक्तित्व निर्माण करना है। अत: सभी को शाखा जाना चाहिए। इसकी अध्यक्षता श्री विमलाकांत जी ने की। मौके पर नवीन जायसवाल, विवेक, अमित, प्रेम, प्रो. ओपी गुप्ता, विशाल, राहुल, सुभम, जयलगन, सुदामा जी, सैकड़ों स्वयंसेवक उपेस्थित थे।