मिल प्रबंधन और श्रमिक संघ में टकराव
बेतिया। न्यू स्वदेशी सुगर मिल्स श्रमिक संघ और मिल प्रबंधन के बीच टकराव की संभावना बढ़ गयी है। अनुमंड
बेतिया। न्यू स्वदेशी सुगर मिल्स श्रमिक संघ और मिल प्रबंधन के बीच टकराव की संभावना बढ़ गयी है। अनुमंडल प्रशासन द्वारा मजिष्ट्रेट की तैनाती कर अनशन के पांचवे दिन रविवार को महामंत्री आरएन शर्मा को बेतिया अस्पताल भेज दिया गया। अपनी मांगों के समर्थन में श्रमिक संघ इंटक के मजदूरों ने आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया है। प्रशासन का कहना है कि डाक्टरों ने अनशनकारी की बिगड़ती हालत की रिपोर्ट दी है जिससे उन्हे बेतिया भेजा गया है। उधर प्रशासन के इस निर्णय के बाद मजदूरों में आक्रोश और भी बढ़ गया और आरएन शर्मा की नरकटियागंज वापसी तक मजदुर नागेन्द्र राम अनशन पर बैठ गये। संघ के अध्यक्ष अर्जुन भारतीय और सलाहकार संजय चौरसिया ने कहा है कि संघ के अधिकारियों से बात करने तक का भी समय प्रशासन द्वारा नही दिया गया। मिल प्रबंधन के मिली भगत से आंदोलन कारियों को डराया धमकाया गया। आंदोलन को दबाने के लिए महामंत्री को बेतिया भेज दिया गया। अध्यक्ष ने बताया कि बेतिया इमरजेंसी वार्ड में भर्ती आरएन शर्मा से दूरभाष पर बात हुई तो उन्होंने बताया कि जब तक श्रम विभाग और मिल प्रबंधन मेरी मांग पर उचित वार्ता नही करता है तो हमारा अनशन अंत तक जारी रहेगा। इधर श्रमिक संघ में आक्रोश बना हुआ है। अनशन स्थल पर पहुचे दंडाधिकारी सीओ अवधेश प्रसाद, पुलिस निरीक्षक सीताराम सिंह, प्रभारी थानाध्यक्ष नागेन्द्र सहनी व पुलिस कर्मियों द्वारा जबरन महामंत्री आरएन शर्मा को कार्यक्रम स्थल से हटाकर बेतिया भेजने का आरोप श्रमिक नेताओं ने लगाया है।
इनसेट
सभा से बढ़ी बेचैनी
शनिवार को श्रमिक संघ की आम सभा से मील प्रबंधन और प्रशासन की बेचैनी बढ़ गयी। श्रमिक नेताओं का कहना है कि मजदूरों का शोषण, उनकी छटनी और बहुतेरे कमाऊ अधिकारियों को रिटायर होने के बाद भी मिल मे रखने समेत कई मुद्दों को लेकर संघ आंदोलन कर रहा है। धरना के बाद अनशन कार्यक्रम के पांचवें दिन तक न कोई श्रम विभाग का अधिकारी पहुंचा और नहीं मिल प्रबंधन के कान पर जूं रेंग रहा। अलबता मिल प्रबंधन मजदूरों को धमकी देने और बिजली पानी काटने की हरक्कतों से बाज नही आ रहा। मजदूर नेताओं का कहना है कि उच्च न्यायालय के माननी मुख्य न्यायाधीश नरकटियागंज पहुंच रहे है। मामला कही उन तक पहुच न जाय इससे पूर्व ही मजदूर आंदोलन को दबाने की यहां कार्रवाई की गयी है।