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थारुओं से सीखें स्वच्छता के गुर

गौनाहा, संवाद सहयोगी : थरुहट में आज भी सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं का निर्वहन किया जाता है। कोई भ

By Edited By: Published: Thu, 23 Oct 2014 01:27 AM (IST)Updated: Thu, 23 Oct 2014 01:27 AM (IST)
थारुओं से सीखें स्वच्छता के गुर

गौनाहा, संवाद सहयोगी : थरुहट में आज भी सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं का निर्वहन किया जाता है। कोई भी पर्व या त्योहार हो स्वच्छता यहां का मूल मंत्र है। भले ही आधुनिकता की चकाचौंध चारों तरफ दिखाई दे रही है। लेकिन थरुहट में आज भी परंपरा के अनुसार ही साफ सफाई का कार्य किया जाता है। घरों की रंगाई-पोताई मिट्टी से की जाती है। इसके लिए किसी भी खेत मालिक को यह नहीं कहना पड़ता कि मेरे खेत से मिट्टी क्यों काट रहे हो। शहरी क्षेत्रों में जहां साफ सफाई पर लाखों-करोड़ों खर्च होते हैं। वहीं थरुहट में बिना पैसा के ही स्वच्छता अभियान की अलख जगाया जा रहा है। दीपावली और छठ जैसे महापर्वो में थरुहट की महिलाएं अगर घर की साफ सफाई करती है तो पुरुष उनमें बखुबी हाथ बटाते है। थरुहट क्षेत्र के कई ऐसा गांव है जहां गंदगी नाम की चीज नहीं मिलेगी। घर से लेकर गांव तक खेत से लेकर खलिहान तक और यहां तक की जिन रास्तों से थारु गुजरते है वह भी स्वच्छता के प्रतीक के रुप में आंखों के सामने होता है। थरुहट में सफाई ऐसी कि खाना खाने के लिए अगर नीचे बैठना हो तो कोई झिझक नहीं होती। विनीता देवी, संध्या देवी आदि ने बताया कि हमारे यहां सदियों पुरानी परंपरा रही है। पर्व त्योहार ही नहीं हर दूसरे या तीसरे दिन घर की लिपाई पोतायी मिट्टी व गोबर से की जाती है। साथ ही इस बात का ख्याल रखा जाता है कि घर के छोटे बच्चे गंदगी नहीं फैलायें। पर्व त्योहारों पर साफ सफाई अभियान का रूप ले लेता है।

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इनसेट

इन गांवों में बहती है

स्वच्छता की बयार

थरुहट क्षेत्र के दोमाठ, घमौरा, बेतहनिया, राजपुर आदि गांव में घुसने पर ही पता चल जाता है कि गांव केवल स्वच्छता का प्रतीक नहीं है बल्कि पवित्रता का भी प्रतीक है। यहां बड़े सलिकों से घर की सफाई की जाती है। घर से निकलने वाले कूड़े कचरे को गढ्डा में डाला जाता है। ताकि उसका खाद बन सकें।

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स्नान के साथ खेत की सिंचाई

थरुहट क्षेत्र में निवास करने वाले अधिकांश थारु जी तोड़ मेहनत तो करते ही साफ सफाई का भी पूरा ख्याल रखते है। सोती में चापाकल पर गंदगी फैलने नहीं देते। यहीं नहीं पानी का उपयोग खेतों में किया जाये। इसका भी ख्याल नहाने के समय रखा जाता है। अगर कोई थारु सब्जी के खेतों के पास नहा रहा हो तो समझे कि वह शरीर को नहाने के साथ खेतों को भी सिंचित कर रहा है।

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बयान

थरुहट क्षेत्र में स्वच्छता हमारी पुरानी परंपरा है। थारु समुदाय इसे अभी भी कायम रखे हुए है।

निरंजन पंजियार

भाजपा अनुसूचित जन जाति मोर्चा के प्रदेश महामंत्री


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