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दो दशक बाद भी गांव में नहीं पहुंची बिजली

वैशाली। एक ओर सरकार ग्रामीण इलाकों को बिजली से रौशन करने के लिए रोज नई-नई घोषणा

By Edited By: Published: Wed, 04 May 2016 03:02 AM (IST)Updated: Wed, 04 May 2016 03:02 AM (IST)

वैशाली। एक ओर सरकार ग्रामीण इलाकों को बिजली से रौशन करने के लिए रोज नई-नई घोषणाएं कर रही है, योजनाएं बना रही है। वहीं दूसरी ओर जिले के कई गांवों में आज भी लोग बिजली से महरूम हैं। ऐसा नहीं कि इससे स्थानीय प्रशासन या बिजली विभाग अंजान है। बार-बार स्थानीय उपभोक्ता विभागीय अधिकारियों से इस संबंध में गुहार लगाकर थक चुके हैं। कई गांव तो ऐसे हैं जहां एक-दो दशक पूर्व तक बिजली की सप्लाई थी लेकिन बाद में कुछ स्थानीय कारणों से उन गांवों में बिजली की सप्लाई ठप हो गयी। ऐसा ही एक गांव है गोरौल प्रखंड का आदमपुर गांव। जहां लगभग 22 वर्ष पूर्व बिजली का तार पोल आदि आपसी विवाद को लेकर क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। उस गांव के ग्रामीणों ने बिजली विभाग के वरीय पदाधिकारियों से लेकर स्थानीय पदाधिकारियों को आवेदन पत्र देकर बताया था कि इस गांव के उपभोक्ताओं का कनेक्शन दूसरे ट्रांसफार्मर से जोड़ा जाये अन्यथा लाइन को काट दिया जाये। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इधर उक्त गांव के दर्जनों उपभोक्ताओं को बिना बिजली सप्लाई के ही 40 हजार से 50 हजार रुपये तक का बिल प्रति माह भेजा जा रहा है। इससे लोगों में अधिकारियों के प्रति आक्रोश व्याप्त है।

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आदमपुर गांव के मदन पांडेय, वैद्यनाथ भगत, नागेंद्र भगत, जगन्नाथ शर्मा, श्याम किशोर पांडेय सहित अन्य उपभोक्ताओं ने अवर प्रमंडल महुआ को आवेदन देकर बताया था कि गांव में आपसी विवाद को लेकर 4 जून 1994 को पांच पोल उखाड़ दिये गये तथा बिजली का तार भी काट लिया गया। इससे बिजली आपूर्ति पूर्णत: ठप हो गयी। आवेदन में गांव में दूसरे ट्रांसफार्मर से बिजली आपूर्ति करने अथवा लाईन काट देने का अनुरोध भी किया गया था। लेकिन इसके बावजूद उपभोक्ताओं को प्रतिमाह बिल भेजा जा रहा है। लोगों ने अब कोर्ट की शरण में जाने का मन बना लिया है। इस संबंध में उपभोक्ता मदन पांडेय ने सूचना के अधिकार के तहत सूचना भी मांगी है लेकिन उन्हें अभी तक सूचना उपलब्ध नहीं कराया गया है।


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