पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट के साथ राघोपुर की धरती लाल
वैशाली। पंचायत चुनाव के दौरान होने वाले वर्चस्व की लड़ाई और गैंगवार में राघोपुर की धरती
वैशाली। पंचायत चुनाव के दौरान होने वाले वर्चस्व की लड़ाई और गैंगवार में राघोपुर की धरती समय-समय पर खून से लाल होती रही है। दो माह बाद पंचायत चुनाव होने हैं। इसके पूर्व ही राघोपुर की धरती दो-दो दबंग पूर्व मुखिया की खून से लाल हो चुकी है। दोनों की हत्या भी अपराधियों ने गोली मारकर की और घटनास्थल भी कच्ची दरगाह ही। अपराध और दबंगई से राजनीतिक दुनिया तक के सफर का राघोपुर का लंबा इतिहास रहा है। इस इलाके के कई दबंगों ने राजनीति की दुनिया में खुद की पहचान तो बनायी ही, अपनी पत्नियों को भी राजनीति में खास पहचान दी। फिर बात चाहे दबंग बाहुबली छवि वाले लोजपा नेता बृजनाथी ¨सह की बात करें या फिर जयपाल राय, सोहन गोप, श्रीकांत राय आदि कई की। सबकी छवि दबंग वाली। खुद राजनीति में उतरने के बाद अपनी पत्नी को भी राजनीति में उतारा। पति की दबंग छवि का फायदा पत्नियों को अपनी राजनीति चमकाने में मिली। इनमें से कई की पत्नी वर्तमान में मुखिया व जिला पार्षद हैं। खुद दबंग छवि के कारण भी मुखिया रह चुके हैं। अपनी दबंग छवि के कारण ही बृजनाथी ¨सह ने राघोपुर के दियारा इलाके में न सिर्फ अपनी धाक जमायी थी बल्कि राजनीति में भी गहरी पैठ बनायी। खुद तो मुखिया रहे ही। अपने एक भाई बद्रीनाथ ¨सह को न सिर्फ पैक्स अध्यक्ष बनाया बल्कि अपने एक भाई अमरनाथ ¨सह की पत्नी मुन्नी देवी को राघोपुर प्रखंड का प्रमुख भी बनाया। बृजनाथी ¨सह ने वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में अपनी पत्नी वीरा देवी को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के विरोध में राघोपुर से चुनावी मैदान में भी उतारा था। हालांकि चुनाव में बृजनाथी ¨सह की पत्नी को सफलता नहीं मिली लेकिन बृजनाथी ने अपनी दबंग छवि वाली धाक की बदौलन कड़ी टक्कर देते हुए अपनी पत्नी को तीसरा स्थान जरूर दिला दिया। यह वह दौर था जब पूरा राघोपुर इलाका वर्चस्व की लड़ाई में हत्या और उसके प्रतिशोध में हत्या के लिए बदनाम हुआ करता था। इस दौर में न सिर्फ बृजनाथी पर कई केस हुए बल्कि उनके भाइयों के नाम भी कई चर्चित हत्याकांडों व आपराधिक मामलों में आये। उस दौर में बृजनाथी ¨सह के अलावा जयपाल राय, श्रीकांत राय, सोहन गोप जैसे कई दबंग छवि के लोग विभिन्न आपराधिक मामलों व हत्याकांडों के कारण सुर्खियों में आये।
दो पूर्व मुखिया की हत्या से थर्राया राघोपुर
बहरामपुर पंचायत के पूर्व मुखिया जयपाल राय की 31 दिसंबर 2015 को गोली मार की गयी हत्या के बाद सुलग रहे आक्रोश की आंच अभी धीमी भी नहीं हुई थी कि बीते 5 फरवरी को एके 47 से अंधाधूंध फाय¨रग कर पूर्व मुखिया बृजनाथी की हत्या और इस गोली बारी में उनकी पत्नी और भाभो के जख्मी होने की घटना से राघोपुर एक बार फिर अंदर ही अंदर सुलग उठा है। पुलिस और लोगों को इस बात का अंदेशा अंदर ही अंदर सता रही है। हत्या और उसके प्रतिशोध में हत्या के लिए राघोपुर पहले भी काफी बदनाम रह चुका है। मुखिया की हत्या से उनके समर्थकों में जबर्दस्त आक्रोश है।
खूनी झड़प का गवाह बना था 2011 का पंचायत चुनाव
पिछले पंचायत चुनाव में रुस्तमपुर ओपी के बहरामपुर गांव में 22 अप्रैल 2011 की उस खूनी घटना को याद कर आज भी लोग सहम जाते है जब पंचायत चुनाव की रंजिश में हुई ¨हसक झड़प में कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। पंचायत में चुनाव की गहमागहमी चल रही थी। मुखिया प्रत्याशी मणिकचन्द्र राय अपने समर्थको के साथ पंचायत में वोट मांगने के लिए निकले थे। जैसे ही उनका काफिला बहरामपुर चौक पर पहुंचा कि पहले से घात लगाए बैठे पूर्व मुखिया रामजयपाल राय के समर्थकों ने काफिले पर ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार शुरू कर दी थी। इस घटना में मणिक चन्द्र राय के भाई योगेन्द्र राय, भतीजा दिलीप राय और ग्रामीण मदन दास सहित तीन लोगों की घटनास्थल पर मौत हो गयी थी। गोली लगने से मणिकचन्द्र राय के अलावे पंचायत समिति सदस्य के उम्मीदवार सुरेश पासवान, चन्देश्वर राम और नाकेश्वर राय गंभीर रूप से घायल हो गए थे। घटना का कारण मुखिया प्रत्याशी माणिकचंद्र राय के समर्थकों द्वारा पूर्व मुखिया रामजयपाल के समर्थक व पूर्व सरपंच बमभोला राय का अपहरण। घटना के दूसरे दिन ही रामजयपाल राय के समर्थक व पंचायत के सरपंच बमभोला राय का अपहरण कर हत्या करने का मामला प्रकाश में आया था। शव को टुकड़े-टुकड़े कर गंगा में बहा दिए जाने की बात जांच के क्रम में पायी गयी थी। यही कारण था कि बमभोला राय का शव पुलिस बरामद नहीं कर सकी। हालांकि बमभोला राय का लाइसेंसी राइफल गांव से ही लवारिश हालत में घटना के चार दिनों के बाद पुलिस ने बरामद की थी। 31 दिसम्बर 2005 को राघोपुर थाना क्षेत्र के रामपुर-श्यामचक गांव में भूमि विवाद को लेकर ही एक परिवार के छह सदस्यों को घर में बंद कर आग लगा दी गयी थी। आगजनी में कई मवेशी भी झुलसकर मर गए थे। इस घटना से दियारा क्षेत्र में दबगों की करतूत की काफी दिनों तक चर्चा होती रही।
खुद बनें जनप्रतिनिधि बाद में पत्नी को बनाया
फतेहपुर के पूर्व मुखिया बृजनाथी ¨सह ने अपनी पत्नी को राजनीति में उतारने की भरसक कोशिश की लेकिन जब उसमें सफलता नहीं मिली तो उसने अपने भाइयों और उसकी पत्नी को राजनीति में मुकाम हासिल करायी। पूर्व मुखिया का एक भाई जहां वर्तमान में पैक्स अध्यक्ष है वहीं उनकी भाभो राघोपुर प्रखंड प्रमुख। वहीं बहरामपुर पंचायत के पूर्व मुखिया रहे जयपाल राय पर भी आपराधिक मामले दर्ज थे। इसके अलावे दबंग छवि के ही इंद्रदेव राय, सोहन गोप, श्रीकांत राय भी मुखिया के रूप में अपनी पारी खेल चुके हैं। जुड़ावनपुर बरारी के पूर्व मुखिया श्रीकांत राय 1 जनवरी को वर्ष 2014 में सुर्खियों में आया था जब उस पर जुड़ावनपुर थाने में घुस कर थानाध्यक्ष समेत एक ग्रामीण की गोली मारकर हत्या का मामला दर्ज हुआ था। इस मामले में वह जेल भी जा चुका है। श्रीकांत राय की पत्नी भी मुखिया है। वहीं पूर्व मुखिया सोहन गोप की पत्नी रूना देवी वर्तमान में मुखिया हैं।