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अब नहीं दिखती कोसी के काश्तकारी का नायाब नमूना 'चटाई'

-------------------- संसाधन को ले भटकना पड़ता दरबदर चटाई का निर्माण पटेर और रस्सी से

By Edited By: Published: Fri, 26 Aug 2016 06:54 PM (IST)Updated: Fri, 26 Aug 2016 06:54 PM (IST)
अब नहीं दिखती कोसी के काश्तकारी का नायाब नमूना 'चटाई'

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संसाधन को ले भटकना पड़ता दरबदर

चटाई का निर्माण पटेर और रस्सी से होता है। रस्सी तो बाजारों में मिल जाती है, लेकिन पटेर के लिए लोगों को अब जगह-जगह भटकना पड़ता है। पटेर अक्सर कोसी नदी के कछार पर हुआ करता था। खेत मालिक पहले पटेर को सस्ते दाम में दे दिया करते थे। लेकिन मंहगाई बढ़ने के साथ ही पटेर का दाम काफी बढ़ गया है।

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गरीबी बन रहा बाधक

सरदार जाति के कई लोग जिनका जीविकोपार्जन चटाई निर्माण से जुड़ा है। पैसे के अभाव में पटेर और रस्सी नहीं खरीद पाते हैं। इस कारण उनके परिवार के सदस्य चाहकर भी चटाई नहीं बना पाते हैं।

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एक दिन में बनती है चार से पांच चटाई

सरदार जाति के कई लोगों का कहना है कि यदि सरकार की ओर से सहयोग प्राप्त हो और संसाधन जमा रहे तो हर घर में एक दिन में चार से पांच चटाई बनाई जा सकती है। उससे पूरे परिवार का भरण-पोषण आसानी से हो सकेगा।

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2 सौ से 4 सौ रूपये तक बिकती है चटाई

बाजार में चटाई का दाम उसके बनावट के हिसाब से रहता है। एक चटाई को 2 सौ से 4 सौ रूपये तक में भी बेचा जाता है। आर्डर पर 5 सौ रूपये के भी एक चटाई बनते हैं। इसमें रोजगार से जुड़े लोगों को काफी मुनाफा हुआ करता है।

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घर का है रोजगार

चटाई बनाना घर का रोजगार है। इस कार्य में अक्सर महिलाएं जुड़ी हे। स्कूली छात्राएं भी समय निकाल कर चटाई बुन लेती है। पुरूष के बाहर रहने पर महिलाएं तैयार चटाई को बाजारों में बेच भी लेती है।

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राज्य के विभिन्न हिस्सों में जाती है चटाई

भपटियाही क्षेत्र में बनाया जाने वाला चटाई फारबिसगंज, सहरसा, कटिहार, बेगूसराय, खगडि़या, भागलपुर, पटना, दरभंगा, समस्तीपुर, गया, नवादा सहित अन्य जगहों पर भेजा जाता है। गर्मी के मौसम में इसकी मांग बढ़ जाती है।

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हजारों हाथों के लिए हो सकता है रोजगार का संसाधन

चटाई निर्माण कार्य के लिए यदि सरकार और प्रशासन गंभीर हो तो इस क्षेत्र के हजारों हाथों को रोजगार मिल सकता है। इसके लिए जगह-जगह चटाई निर्माण शेड, प्रशिक्षण और आवश्यक संसाधन को जुटाने हेतु आर्थिक सहायता देने की जरूरत है। सिर्फ सरदार जाति ही नहीं बल्कि अन्य गरीब वर्ग के लोग भी इस कुटीर उद्योग के सहारे काफी आगे बढ़ सकते हैं। एनएच 57 बनने से इस उद्योग से जुड़े लोगों को काफी उम्मीदें बढ़ गई है। भपटियाही चटाई का बड़ा बाजार बन सकता है।


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