श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक, मांगी मन्नतें
सुपौल। राघोपुर प्रखंड क्षेत्र स्थित विख्यात भीमशकर महादेव स्थान में सावन मास के प्रथम शनिवार क
सुपौल। राघोपुर प्रखंड क्षेत्र स्थित विख्यात भीमशकर महादेव स्थान में सावन मास के प्रथम शनिवार को श्रद्धालुओं ने बाबा का जलाभिषेक किया। ग्रंथ एवं विद्वान के अनुसार समुद्र मंथन में अन्य पदार्थ के साथ विष निकला था। जिसे भगवान शिव ने विषपान कर लिया था। इसकेबाद भगवान शिव के शरीर में ज्वाला उत्पन्न होने पर ज्वाला शात करने के लिए देवता व श्रद्धालुओं द्वारा जलाभिषेक करने की परंपरा शुरू किया गया। तबसे यह प्रथा चली आ रही है। पंडित विष्णु कात झा बताते है श्रद्धालुओं को एक लोटा जल भगवान शिव को चढ़ाना चाहिए। भगवान शिव न केवल भक्तों का दुख हरते है। बल्कि सारे मुराद भी पूरे करते हैं। भीमशकर महादेव मंदिर पड़ोसी देश नेपाल से 35 किलोमीटर दक्षिण दिशा में राष्ट्रीय राजमार्ग 106 के गणपतगंज बाजार के पूर्व दिशा में धरहरा गांव में है। यह मंदिर अति प्राचीन मन्दिर है। यहां मागी गई हर मनोकामना बाबा पूरी करते है। इस मंदिर में न केवल सावन बल्कि सालों भर रविवार को जलाभिषेक करने की प्रथा है। यहा सावन-भादों के महीने व महाशिवरात्रि पर भी भीड़ उमड़ती है।
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मंदिर का इतिहास
यहां पर पूर्व में घना जंगल था। जिसमें आपरूपित शिवलिंग अंकुरित होते देख कर स्थानीय लोगों ने झोपड़ी का निर्माण किया। महाभारत काल में जब पाडव अपने अज्ञात वास के क्रम में इसी रास्ते से राजा विराट के दरबार जा रहे थे तो पाडव पुत्र भीमसेन ने पूरी भक्ति भावना के साथ इस अंकुरित शिवलिंग की पूजा-अर्चना की थी। भीम के द्वारा इस स्थान पर शिव की पूजा करने से ही स्थापना काल से भीम शकर महादेव कहा जाने लगा। 1930 ई में गोसपुर निवासी पंडित त्रिलोक नाथ मिश्र के नेतृत्व में मन्दिर निर्माण शुरू हुआ था। कमेटी के अध्यक्ष सदानन्द यादव, सचिव सरयुग प्रसाद यादव बताते है सावन के दस्तक के साथ ही यहां पूरी तैयारी कर ली गई है। श्रद्धालुओं को ठहरने के लिए धर्मशाला का भी निर्माण कराया गया है। भक्तों को पूजा करने में हर सम्भव सहयोग का ख्याल रखा जाता है। राजू अग्रवाल बताते है यहां कोसी इलाके सहित जिले एवं पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भारी संख्या में भक्त आते है
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कहते है पुजारी
मन्दिर के पुजारी ताराकात गिरी बताते है भीमशकर महादेव की महिमा अपरम्पार है। घर बैठे भी कोई मन्नत मागता है तो उसकी मुराद पूरी हो जाती है।