सुंदर मुखड़ा रोता दुखड़ा
सुपौल। भवन भी सुंदर बनकर तैयार हो गया। वर्षो बाद ही सही उद्घाटन की रस्म अदायगी भी रहनु
सुपौल। भवन भी सुंदर बनकर तैयार हो गया। वर्षो बाद ही सही उद्घाटन की रस्म अदायगी भी रहनुमाओं ने समारोहपूर्वक कर दी। लेकिन विडंबना कहिये कि भवन को छोड़ कुछ भी नया नहीं हो सका। कागज में दौड़ने लगा अनुमंडलीय अस्पताल। लेकिन सरजमीन पर वहीं पुरानी बात।
करोड़ों की लागत से बना अनुमंडल अस्पताल निर्मली का लाभ भी आम लोगों को मयस्सर नहीं हो पा रहा है। स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कोसी दियारा क्षेत्र के लोग परेशान हैं। अनुमंडल अस्पताल निर्मली में इन दिनों इलाज के लिये मरीज बेहाल देखे जा रहे हैं। इस अस्पताल का उद्घाटन 12 अक्टूबर 2014 को बिहार सरकार के मंत्री द्वारा किया गया। उद्घाटन उपरान्त क्षेत्रीय विधायक व जिलाधिकारी की उपस्थिति में सभा का आयोजन भी किया गया। स्वास्थ्य के प्रति सरकार की सोच और अस्पताल से मिलने वाली सुविधाओं की व्याख्यान की गई। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र निर्मली में कार्यरत डॉक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मी भी सक्रिय देखे गए किन्तु अस्पताल उद्घाटन के दिन से ही बंद पड़ा है। न यहा कोई डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी हैं और ना ही जन प्रतिनिधि इसकी सुधि ले पा रहे हैं। हाल यह है कि इन दिनों यह अस्पताल मवेशियों की शरणस्थली बना हुआ है। वहीं क्षेत्र के लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है। गंभीर मरीजों को इलाज के लिये दरभंगा, पटना, सहरसा आदि शहरों पर निर्भर रहना पड़ता है।
स्थानीय लोगों की माने तो बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के नाम पर ठगी की जा रही है। हेल्थ फोर ऑल की उद्घोषणा धरातल पर नहीं दिख रहा है। यदि व्यवस्था दुरूस्त कर दी जाये तो इस अनुमंडल अस्पताल से नेपाली सीमावर्ती इलाके के साथ-साथ सुपौल व मधुबनी जिला के लौकही,घोघरडीहा, सरायगढ़, राघोपुर, निर्मली व मरौना प्रखंड के लाखों लोग लाभान्वित हो सकते हैं।