एक वर्ष से बनकर तैयार नलकूप, नहीं हो रहा चालू
सुपौल। कृषि क्षेत्र में रोजगार के अभाव के चलते यहा के मेहनतकश लोग दूसरे प्रदेशों में जाकर
सुपौल। कृषि क्षेत्र में रोजगार के अभाव के चलते यहा के मेहनतकश लोग दूसरे प्रदेशों में जाकर वहा की तकदीर संवार रहे हैं। इधर सदर प्रखंड में लड़खड़ाई सिंचाई व्यवस्था यहा की भूमि को समुचित पानी देने में पूरी तरह असफल है। लघु सिंचाई विभाग के तहत इन क्षेत्र में लगाये गए राजकीय नलकूप शोभा की वस्तु बन कर रह गई है। सदर प्रखंड स्थित हरदी पूरब चौघारा पंचायत में एक साल पूर्व नलकूप तो बना दिया गया। परन्तु आज तक वह चालू नहीं हो सका। इतना ही नहीं उक्त नलकूप भवन में बिजली भी पहुंच चुकी है। परन्तु एक नोजल व कर्मी के चलते वह बेकार बना हुआ है। जिसचलते किसानों को खेतों तक पानी ले जाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। स्थानीय किसानों की मानें तो उनका कहना है जब नलकूप बनना शुरू हुआ था तो लगा था कि अब खेत तक पानी आसानी से पहुंच जाएगा और महंगे पंपसेट से सिंचाई नहीं करना पड़ेगा। लेकिन एक वर्ष बाद तक इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
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मंहगी सिंचाई के चलते खेती से विमुख हो रहे किसान
कमजोर सिंचाई व्यवस्था के कारण फसलों की सिंचाई यहा के किसानों को काफी मंहगी पड़ रही रही है। जिसके चलते किसान खेती को घाटे का सौदा मानकर इससे विमुख होते जा रहे हैं। भाड़े के पंपसेट से सिंचाई करने में किसानों की कमर टूट जाती है। 75 से 100 रुपये प्रतिघटा सिंचाई करने में किसान सक्षम नहीं हो पा रहे हैं।
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क्या कहते हैं लोग
स्थानीय जितेंद्र कुमार उर्फ सिन्टू, विजेन्द्र यादव, धीरेंद्र यादव, राजेश यादव, रमेश आदि बताते हैं कि एक तो ससमय नहर में पानी नहीं आता है। उपर से महंगे पंपसेट के सहारे खेतों की सिंचाई की जाती है। बताते हैं जब यह नलकूप का निर्माण हुआ तो लगने लगा था कि अब महंगे पानी से खेतों की सिंचाई नहीं करनी पड़ेगी। परन्तु विडंबना देखिये कि यह नलकूप भवन एक साल से बन कर तैयार है। परन्तु आज तक चालू नहीं हो पाया। इन सबों ने विभागीय अधिकारी से ध्यान आकृष्ट कराते हुए इसके चालू करवाने की अविलंब मांग की है।