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वर्षो से अधूरा पड़ा बीआरसी कार्यालय

सुपौल। सरकार के लाखों की राशि से 10 वर्ष पूर्व बनाए गए बीआरसी कार्यालय चांदपीपर आज भी अपने हालात पर आंसू बहा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 May 2017 06:35 PM (IST)Updated: Fri, 26 May 2017 06:35 PM (IST)
वर्षो से अधूरा पड़ा बीआरसी कार्यालय
वर्षो से अधूरा पड़ा बीआरसी कार्यालय

सुपौल। सरकार के लाखों की राशि से 10 वर्ष पूर्व बनाए गए बीआरसी कार्यालय चांदपीपर आज भी अपने हालात पर आंसू बहा रहा है। इस कार्यालय में खिड़की-किबाड़ से लेकर शौचालय तक का अभाव है। बीआरसी कार्यालय चांदपीपर का निर्माण वर्ष 2007 में शुरू हुआ था। जानकारी अनुसार बीआरसी कार्यालय को पूरी तरह व्यवस्थित करने पर 12 लाख से अधिक रुपए खर्च किए जाने थे जो लगभग हो चुका है। इसके अभिकर्ता ने बैंक से राशि की निकासी तो कर ली लेकिन शिक्षा का यह महत्वपूर्ण मंदिर जहां से पूरे प्रखंड क्षेत्र के विद्यालयों में अलख जगाने का काम किया जाता है वह कब बनकर पूरा होगा इसकी सुधि नहीं ली गई। यानी दीप तले अंधेरा छाया है। यह सोचनीय बात है कि जहां प्रखंड भर के शिक्षक-शिक्षिकाएं विभिन्न बैठकों के लिए आते हैं। वहीं पर शौचालय ना हो और जिसके कारण शिक्षक-शिक्षिकाओं को कई कठिनाइयों से जूझना पड़े तो इस से दुखद स्थिति और क्या हो सकती है। बीआरसी कार्यालय में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी प्रखंड के साधनसेवी, सभी संकुल समन्वयक तो लगातार रूप से आते जाते हैं। जिले के कई अधिकारी भी कार्यालय में आकर शैक्षणिक गतिविधियों की जांच करते हैं। लेकिन वही कार्यालय आज बिना खिड़की और चौखट के मुंह बाए खड़ा है। बीआरसी कार्यालय के परिसर में बरसात आते ही पानी का जमावड़ा हो जाता है। जमा पानी का कहीं से भी निकासी होना संभव नहीं रहता है और इस दौरान जितने भी शिक्षक-शिक्षिकाएं वहां पहुंचते हैं उसे कीचड़ से होकर कमरे तक जाना पड़ता है। बीआरसी कार्यालय की सीढ़ी भी इतनी खतरनाक तरीके से बना हुई है कि थोड़ी सी चूक से लोगों की जान जाने का खतरा बना रहता है। इस निर्माणाधीन बीआरसी कार्यालय को अभी तक विभाग को विधिवत सौंपा भी नहीं गया है। तो क्या यह अधूरा बीआरसी कार्यालय कभी पूरी तरह बनकर तैयार होगा या फिर अधिकारी इसी जीर्ण-शीर्ण मकान में विभागीय काम करवाते रहेंगे और सबकुछ यूं ही चलता रहेगा।

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पूछे जाने पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि यह सही है कि निर्माणाधीन बीआरसी कार्यालय में न शौचालय है और ना ही पानी पीने की व्यवस्था। इसके अलावा कई ऐसी कठिनाई है जिसके निदान के लिए मकान का पूर्ण होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मकान का निर्माण कार्य उनके कार्यकाल से पहले शुरू हुआ था इस कारण उन्हें कोई विशेष जानकारी नहीं है।


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