Move to Jagran APP

रबी फसल में लक्ष्य से फिसल गया विभाग

सुपौल। वर्ष 2016-17 में जिले में रबी फसल बुआई कुल 3,529 हेक्टेयर में की गई है। जबकि रबी फसल की बुआई 3988 हेक्टेयर में निर्धारित किया गया था।

By Edited By: Published: Mon, 16 Jan 2017 03:57 PM (IST)Updated: Mon, 16 Jan 2017 03:57 PM (IST)
रबी फसल में लक्ष्य से फिसल गया विभाग
रबी फसल में लक्ष्य से फिसल गया विभाग

सुपौल। वर्ष 2016-17 में जिले में रबी फसल बुआई कुल 3,529 हेक्टेयर में की गई है। जबकि रबी फसल की बुआई 3988 हेक्टेयर में निर्धारित किया गया था। दलहन की बुआई में भारी गिरावट आई है। इस बार जिले में धान का बंपर उत्पादन हुआ है। जिसके बाद रबी फसल की बुआई का कार्य भी किसानों द्वारा निपटाया जा चुका है। परन्तु रबी के फसल की बुआई लक्ष्य के अनुरूप नहीं रही। कृषि विभाग से मिली जानकारी अनुसार इस वर्ष आच्छादान का लक्ष्य गेहूं के लिए श्रीविधि से 725 एकड़ निर्धारित था। जिसके एवज में 696 एकड़ में बुआई की गई। इसी तरह जीरो विधि के तहत 1483 एकड़ के बजाए 1478 एकड़ में बुआई की गई। इसी प्रकार मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना के तहत 1050 ¨क्वटल तथा बीज ग्राम योजना के तहत 880 ¨क्वटल बीज का वितरण किसानों के बीच किया जाना था। जिसके बदले मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना में लक्ष्य के करीब तो पहुंच गया परन्तु बीज ग्राम योजना के तहत महज 170.40 ¨क्वटल बीज का ही वितरण संभव हो पाया। इसी तरह जिले में रबी फसल में शामिल दलहन फसल के आच्छादान में काफी नीचे रहा। जहां मसूर बुआई के लिए जिले को 330 एकड़ का लक्ष्य प्राप्त हुआ था। जिसके बदले महज 172 एकड़ में भी बुआई संभव हो पायी है। विभाग का कहना है कि लक्ष्य के अनुरूप बीज ही उपलब्ध नहीं पायी थी। इस बार रबी फसल की बुआई में किसानों द्वारा गर्मा मूंग व गर्मा तिल की खेती एक हेक्टेयर में भी नहीं की गई। जिले में गर्मा मूंग के बुआई का लक्ष्य 14 हेक्टेयर तथा गर्मा तिल का लक्ष्य 60 हेक्टेयर में निर्धारित था। कुछ ऐसा ही हाल सूर्यमुखी व मक्का का भी है। गेहूं के लिए श्रीविधि तरीके से बुआई में जिले का त्रिवेणीगंज प्रथम स्थान पर है। जहां 108 एकड़ गेहूं की बुआई इस विधि से की गई है। यहां महज 29 एकड़ में ही श्रीविधि से गेहूं की बुआई हुई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.