चकबंदी निदेशक से लगाई न्याय की गुहार
सुपौल। करजाईन पंचायत का भूमि विवाद अब चकबंदी निदेशक तक जा पहुंचा है। करजाईन निवासी जनार्दन मेहता ने
सुपौल। करजाईन पंचायत का भूमि विवाद अब चकबंदी निदेशक तक जा पहुंचा है। करजाईन निवासी जनार्दन मेहता ने चकबंदी निदेशक से बास की जमीन को चकबंदी कर दिए जाने के विरोध में इसे गलत बताते हुए निदेशक से इसमें सुधार करने की गुहार लगाई है। जनार्दन मेहता ने बताया कि बास, बगीचा एवं तालाब की जमीन का चकबंदी नहीं किये जाने का प्रावधान होने के बावजूद उनके बास की जमीन को चकबंदी में शामिल कर चक भी फाइनल कर दिया गया है। जो सरासर गलत है। उन्होंने बताया कि उनके जिस जमीन को चकबंदी में शामिल किया गया है वह जमीन उसे सन 1972 में रजिस्ट्री की गई है। जिसका कागजात भी उनके पास मौजूद है। जबकि उनके विरोधी के पास सन 1973 की रजिस्ट्री है। उनकी जमीन जिसका नंबर 273 है वह बास की जमीन है। जबकि उनके विरोधी जिनका नंबर 94 है वह खेतिहर जमीन है। 1973 की जमीन को भूलवश चकबंदी में खाता खोल दिया गया है। जो इस जमीन विवाद का मुख्य कारण है। उन्होंने चकबंदी निदेशक से इसकी अविलंब जांच कर उचित कारवाई करने की मांग की है।