'जवान सैनिकों की शहादत को सलाम'
सुपौल। आतंकवाद की न तो कोई जात है और न ही कोई धर्म। जहां तक इस्लाम का सवाल है तो इस्लाम नफरत नहीं बल
सुपौल। आतंकवाद की न तो कोई जात है और न ही कोई धर्म। जहां तक इस्लाम का सवाल है तो इस्लाम नफरत नहीं बल्कि मुहब्बत व भाईचारे का पैगाम देता है। किन्तु पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवादी को इस सबसे कुछ लेना देना नहीं। वे इस्लाम के नाम पर युवाओं को बरगला रहे हैं और उन्हें आतंक के दल-दल में परोस रहे हैं। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान सर्जिकल स्ट्राइक के बाद बस बदले की ताक में है। सीमा पर भारतीय जवानों की चौकसी से घुसपैठ का दौर थमा है और सीमा पर से आतंकी एवं गोला बारूद भारतीय भू-भाग में नहीं आ पा रहे हैं। नतीजा है कि पाकिस्तान और आतंकी पूरी से बौखलाए हुए हैं और अब भारत के अंदर नौजवानों को बरगला कर उन्हें आतंक की राह पर चलने का अभियान चला बैठे हैं। इन नौजवानों के सहारे आतंकी पुलिस बल से हथियार छिनवा रहे हैं। जिसका उपयोग वे भारत को दहलाने में कर सके। इधर कई आतंकी संगठनों ने आपस में हाथ मिलाकर भारत को दहलाने की योजना बनाई है। आतंकियों से लोहा लेते देश के कई जवान भी शहीद हुए हैं और हो भी रहे हैं। शहर के जाने माने चिकित्सक डा.राजाराम गुप्ता कहते हैं कि देश के लिए शहादत देने वाले जवानों पर देश वासियों को फख्र है। वीर जवानों की बदौलत ही आज हम अमन-चैन से जी रहे हैं। विपरीत परिस्थिति में भी सेना के जवान सीमा पर डटे रहते हैं और दुश्मनों के नापाक इरादों को नाकाम करते हैं। देश के सच्चे राष्ट्रभक्त तो सेना के जवान ही हुए। उनकी शहादत पर देशवासियों को गर्व होना चाहिए। साथ ही साथ देशवासियों का भी फर्ज होना चाहिए कि शहीदों के नाम पर भी दीया जला कर उन्हें श्रद्धाजंलि दे। उन्होंने अपील किया कि जिलेवासी शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए कम से कम एक दीया जरूर जलायें।