विकास की किरणों से ओझल कोसी का गांव बनैनिया
सुपौल। पिछले सात वर्षो से विकास की बात नहीं समझ पा रहे हैं बनैनिया के लोग। तटबंध और स्पर पर काट रहे
सुपौल। पिछले सात वर्षो से विकास की बात नहीं समझ पा रहे हैं बनैनिया के लोग। तटबंध और स्पर पर काट रहे दिन खेतों में कभी होता बालू तो कभी बहता पानी। सरायगढ-भपटियाही प्रखंड का 10 वर्ष पूर्व तक संपन्न माना जाने वाला पंचायत बनैनिया आज सरकार के विकास की नजरों से ओझल हो चुका है। वर्ष 2008 तथा 2010 में इस पंचायत को कोसी ने तहस-नहस कर दिया। अधिकांश आबादी पूर्वी तटबंध पर आ गई। कुछ लोग पश्चिमी गाईड बाध के बगल जा बसे। जिसे कोई जगह नहीं मिली वो दूसरे प्रखंडों में चले गए। लेकिन नाम अभी भी इसी पंचायत से जुड़ा है। बाढ़ की विभीषिका के बाद यहा पंचायत चुनाव हुआ तो लोगों ने बढ़ चढ़ कर मतदान किया। अपना प्रतिनिधि चुना और उससे ढेर सारी अपेक्षाएं की। लेकिन सरकार का सारा कार्य लगभग कागजों तक रह गया। तटबंध और स्पर पर कोई सरकारी योजनाएं नहीं चल सकती। पंचायत के इटहरी गांव में सिपेज की समस्या के कारण कार्य नहीं हो पा रहा है। वहां यदि कुछ काम हुए भी तो लोग संतुष्ट नही हैं। सनपतहा और औरही टोला में विकास के कार्य चलाए जा सकते है। लेकिन वहां भी कई अड़चने बनी हुई हैं।