यहां समस्याओं की क्रमबद्ध सूची तय करना है मुश्किल
सुपौल। सुपौल जिला के निर्मली अनुमंडल को 24 वर्ष बीतने उपरान्त भी पूर्ण अनुमंडल का दर्जा नहीं मिल सका
सुपौल। सुपौल जिला के निर्मली अनुमंडल को 24 वर्ष बीतने उपरान्त भी पूर्ण अनुमंडल का दर्जा नहीं मिल सका है। आज भी इस अनुमंडल क्षेत्र के लोगों को अनुमंडल स्तर की सारी सुविधायें नहीं मिल पा रही है। अनुमंडल स्तर के पदाधिकारियों को आवास सुविधा पश्चिमी कोसी तटबंध प्रमंडल के पदाधिकारी एवं प्राथमिक स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सा पदाधिकारी के आवास पर ही निर्भर होना पड़ रहा है। ज्ञातव्य हो कि अप्रैल 1991 में निर्मली को अनुमंडल बनाया गया था। अनुमंडल बनने के साथ ही लोगों को आशा जगने लगी थी कि अब हमलोगों को अनुमंडल स्तरीय कार्यो के निष्पादन हेतु अन्यत्र नहीं जाना पड़ेगा। किन्तु आज तक अनुमंडल क्षेत्र के लोगों को सुविधायें नहीं मिल सकी है। न्यायिक कार्यो के निष्पादन हेतु निर्मली प्रखंड क्षेत्र के लोगों को 100 किमी की दूरी तय कर व्यवहार न्यायालय वीरपुर एवं मरौना प्रखंड क्षेत्र के लोगों को 80 किमी की दूरी तय कर व्यवहार न्यायालय सुपौल जाना पड़ रहा है। अनुमंडल मुख्यालय में व्यवहार न्यायालय व जेल बनाने को लेकर लोगों द्वारा सासद से लेकर विधायक तक गुहार लगायी गयी। बावजूद आज तक किसी ने इस दिशा में सकारात्मक पहल नहीं की है। इतना ही नहीं अनुमंडल मुख्यालय के कई गावों में बिजली सुविधा आज तक मुहैया नहीं की गई है। ऐसे गावों के लोग ढि़बरी युग में जीने को विवश हैं। स्वच्छ पेयजल लोगों को उपलब्ध कराने के नाम पर कागजी खानापूरी की गई है। वर्ष 1980 में बना जलमीनार टावर से आजतक एक बूंद पानी लोगों को नसीब नहीं हो पाया है। निर्मली नगर में लाखों की लागत से लगाये गए दर्जनों वाटर रिमूवल प्लाट बंद पड़ा है, जिसे चालू करने के लिये विभाग उदासीन है।