कोसी के 'किसान' कब बेचेंगे अपना धान
सुपौल। कोसी क्षेत्र कृषि प्रधान क्षेत्र है। यहा की आबादी सिर्फ और सिर्फ कृषि पर ही निर्भर है। इस कृष
सुपौल। कोसी क्षेत्र कृषि प्रधान क्षेत्र है। यहा की आबादी सिर्फ और सिर्फ कृषि पर ही निर्भर है। इस कृषि प्रधान क्षेत्र में 'धान' एक मुख्य फसल है। जिस फसल पर किसान से लेकर यहा जीवन-यापन करने वाले तमाम तरह के लोग आश्रित हैं। किसानों के लिये धान की फ सल मूल्यवान धातु 'सोना' से कम नही है। पर इस बार कोसी के किसानों का 'सोना' नही बिक रहा। जिस कारण उनको खाने के लाले पड़ रहे हैं। आखिर कब बिकेगा किसानों का 'सोना'?
-किसान हो रहे मायूस
कोसी के किसानों के धान की सरकारी अधिप्राप्ति सलीके से शुरु नही हो सकने की स्थिति में जहा समर्थन मूल्य के अलावे प्रोत्साहन राशि से किसानों को वंचित रह जाना पड़ रहा है वहीं किसानों को औने-पौने दामों में खुले बाजार में धान बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है क्योंकि जिले में 05 दिसम्बर से धान अधिप्राप्ति किया जाना था जो कई कारणों से अभी तक संभव नहीं हो सका जो सरकार द्वारा नवम्बर में ही घोषित किया गया था कि पैक्सों एवं व्यापार मंडलों द्वारा किसानों के धान की खरीददारी शुरु की जाएगी। मगर अभी तक धान की सरकारी अधिप्राप्ति को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है और अधिप्राप्ति जिले में कहीं शुरु नहीं हो सकी है। पैक्स और व्यापार मंडल के अलावे निर्धारित एसएफ.सी के गोदामों पर भी किया जाना घोषित है। लेकिन पैक्सों को बैंकों द्वारा सी.सी. नही होने और क्रय केन्द्र निर्धारित नही किए जाने एवं मीलरों को पैक्सों से सीधे सम्बद्ध नही किये जाने के कारण अधिप्राप्ति ठप पड़ा हुआ है।
- पैक्सों का है रोना
बसंतपुर एवं छातापुर प्रखंड के पैक्स अध्यक्षों का कहना है कि डाटाबेस की प्रक्रिया पूर्ण होने के बावजूद अभी तक बिहट को-आपरेटिव बैंक द्वारा अधिप्राप्ति को लेकर अग्रिम के एवज में सीसी नही किए जाने से अधिप्राप्ति रुकी हुई है। इस बार यह मौका आया है कि पहले जहां प्रति क्विंटल पांच किलो धान अधिक लिया जाता था वहीं इस बार नमी के नाम पर ही अधिप्राप्ति नही शुरु किया जा रहा है। इस कारण किसान खुले बाजार में औने-पौने में रबी फसल के लिये धान बेच रहे हैं।
-खुले बाजार में बिक रहे धान
अभी जबकि धान की फसल किसानों के आवास में सड़ रहे हैं अन्यथा खुले बाजार में औने पौने दामों में बिक रहे हैं। इस कारण अधिप्राप्ति के अभाव में किसान खुले बाजार में धान बेचने को मजबूर हैं। फिलवक्त पैक्स व्यापार मंडल एवं एसएफ.सी द्वारा अधिप्राप्ति हेतु किसानों का डाटा बेस तैयार किये जाने की बात सहकारिता विभाग द्वारा बतायी जा रही है ताकि संभावित किसानों का बैंक खाता संख्या, अद्यतन लगान रसीद आदि लेकर डाटाबेस के तहत राशि हस्तातरित किया जा सके। दूसरी विडम्बना है कि पैक्सों को अभी तक अधिप्राप्ति हेतु अग्रिम कैश क्रेडिट भी नही हो पाना बताया जा रहा है। जिस कारण अधिप्राप्ति और राशि भुगतान की प्रक्रिया को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है। साथ ही किसानों को बोरे की आपूर्ति के बारे में भी विभाग एवं पैक्सों में उहापोह की स्थिति बनी हुई है।
-सरकारी खरीद में पेंच
सरकार ने तो किसानों को पैक्स द्वारा धान खरीदने का लॉलीपाप तो दिखा दिया पर यह इस साल शुरु कब होगा इसकी गारटी देने वाला कोई नही। सरकारी खरीद में भुगतान और नमीं का पेंच है। सरकार ने धान में नमी की मात्रा 17 प्रतिशत तय की है। जबकि अब जाच में धान में नमी नही पायी जा रही है। दूसरा पेंच पैक्स को सीधे मिलरों से जोड़ कर चावल देने को है। जिसके लिये कहा जा रहा है कि पूर्व में जहा 105 किलो का क्विंटल लिया जाता था वहीं इस बार 108 किलो से अधिक को क्विंटल मानने की विवशता पैक्स वाले दिखा रहे हैं। इसके अलावा इस बार बोरा भी किसानों को ही देना है। इस सब के बावजूद पूर्व की भाति से भी इस बार भुगतान प्रक्रिया और जटिल कर दी गयी है। पैक्स, मिलर एवं एसएफ.सी के तिकड़ी में किसान अपने आप को फं सता महसूस कर रहे हैं।
-बिचौलियों की हो रही चादी
कुल मिलाकर इन प्रक्रियाओं में हो रही देरी के कारण ही किसान औने-पौने दाम में धान बेचने को मजबूर हैं और इस कारण बिचौलियों को फायदा मिलने की संभावना प्रबल होती जा रही है। अगर अधिप्राप्ति शुरु भी होती है तो फिर वही पुरानी भुगतान की प्रक्रिया को-आपरेटिव बैंक बिहट द्वारा क्या 48 घटे में किसानों के खाते में हो जायेगा। इससे भी किसान निजात पाना चाहते हैं। भुगतान का मुकम्मल समाधान नही रहने के कारण फिर इस बार भी किसान भुगतान के लिये भटकने को मजबूर होंगे।
-क्या है योजना
बिहार राज्य के किसानों को धान का उचित मूल्य दिलाने हेतु सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर पैक्स द्वारा सीधे धान क्रय करने की व्यवस्था की गई है। इसके नोडल एजेंसी के रुप में राज्य सरकार द्वारा राज्य खाद्य नियम को अधिसूचित किया गया है।
-धान अधिप्राप्ति का कुल लक्ष्य की पूर्ति में से 90 प्रतिशत पैक्सों द्वारा पंचायत स्तर पर एवं व्यापार मंडल द्वारा प्रखंड स्तर पर किया जाना है। जबकि 10 प्रतिशत अनुमंडल स्तर पर राज्य खाद्य निगम द्वारा खोले गये क्रय केन्द्र पर भी धान क्रय किया जाना है।
-सामान्य धान का दर 1410 रुपये प्रति क्विंटल तथा ग्रेड ए धान का 1450 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित है।
-ऑनलाइन पंजीकृत किसानों से अधिकतम 100 क्विंटल धान ही क्रय किया जना है। जिन किसानों ने अभी तक पंजीकरण नही कराया है वे वसुधा केन्द्र के माध्यम से अभी भी पंजीकरण करा सकते हैं।
-क्रय किये गये धान का भुगतान किसानों को खाते में आरटीजीएस/एनई.एफ.टी से किया जाना है।
-धान क्रय की अवधि बिहार सरकार द्वारा दिनाक 05.12.2015. से 31.03.2016 तक निर्धारित है।