निर्मित पीसीसी सड़क घिर गया विवाद में
सुपौल। मुख्यालय के वार्ड नंबर 10 में हालिया निर्मित पीसीसी सड़क विवादों में घिर गया है। मुख्यमंत्री क
सुपौल। मुख्यालय के वार्ड नंबर 10 में हालिया निर्मित पीसीसी सड़क विवादों में घिर गया है। मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना से निर्मित इस सड़क का नामित स्थल पर निर्माण नहीं होने से लाभान्वित होने वाले बस्तीवासी वंचित हो गये हैं। मामले की जड़ में चिन्हित स्थल के मध्य अतिक्रमण का मामला सामने आया है जिसके मापी प्रतिवेदन में अंचल अमीन द्वारा की गई गलत बयानी के कारण 60 परिवारों की बस्ती योजना लाभ से वंचित रह गयी। योजना निष्पादित कर रात के अंधेरे में बोर्ड लगाने के बाद प्रात: बस्ती वासियों को ज्ञात हुआ कि उक्त सड़क तो उनके बस्ती में बननी थी जो लाभ उन तक पहुंची ही नहीं । थक हार कर बस्तीवासियों ने मामले को आरडीओ के संज्ञान में दिया जिन्होंने स्थलीय निरीक्षण कर वरीय पदाधिकारियों को प्रतिवेदित किये जाने की बात कही है। इधर बस्ती वासियों में शत्रुघ्न ठाकुर, सुरेंद्र ठाकुर, गनोरी ठाकुर, जय प्रकाश ठाकुर, अलख ठाकुर, बिजेंद्र ठाकुर,शुभ नारायण ठाकुर, भोला कुमार, बिंदेश्वरी ठाकुर, फुलेश्वर ठाकुर आदि ने क्षेत्रीय सासद रंजीत रंजन को आवेदन हस्तगत कराते हुए बताया है कि मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना शीर्ष 4070 योजना संख्या 122एफ2/2014-15 के तहत 13 लाख 10 हजार 498 रूपये के प्राक्कलित राशि से छातापुर पंचायत के वार्ड नंबर 10 में झमेली मंडल के घर से शत्रुघ्न ठाकुर के घर तक पीसीसी सड़क निर्माण होना था। जिसका निष्पादन किशोर मंडल के घर से झमेली मंडल के घर तक ही किया गया। बताया है कि उक्त योजना के
प्रारंभ की तिथि 31 जनवरी 2015 थी और इसे 30 अप्रैल 2015 तक संपन्न
कराया जाना था। लेकिन स्थल व समय को नजरअंदाज कर तीन जनवरी 2016 को कार्य निष्पादन कर लिया और रात्रि काल बोर्ड लगा फरार हो गये। इस मामले का रोचक पहलू यह भी सामने आया कि चिन्हित स्थल के मध्य झमेली मंडल द्वारा सड़क को अतिक्रमण कर लिया गया है। मामला अंचलाधिकारी के सामने आने के बाद अंचल अमीन को स्थलीय प्रतिवेदन देने के लिए कहा गया था। लेकिन अंचल अमीन ने पहले तो प्रतिवेदन में अतिक्रमित स्थल को बिना खाली किये ही मुक्त बता दिया और बाद में पोल खुलने व पदाधिकारी के फटकार पर वास्तविक स्थिति प्रतिवेदित की गयी है। इस पेंच के खेल में इतना हुआ कि निर्माण एजेंसी को मनमाना पूर्ण योजना निष्पादन की छूट मिल गयी और बस्ती वासी योजना लाभ से वंचित रह गये।