मयखाने में तब्दील हो जाता होटल
सुपौल। सावधान! अगर आप सपरिवार शहर के किसी होटल में लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठाने जा रहे हैं तो इस बात
सुपौल। सावधान! अगर आप सपरिवार शहर के किसी होटल में लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठाने जा रहे हैं तो इस बात की ताकीद जरूर कर लें कि वहां मदिरा का दौर तो नहीं चल रहा है। क्योंकि गलती से भी यहां बैठ जाने पर आपको लज्जित होना पड़ सकता है। हद तो तब हो जाएगी जब आपके परिवार पर फब्तियां भी कस दी जाएंगी। यह कहानी सिर्फ रात की नहीं है, बल्कि दिन में भी कई होटल मयखाने में तब्दील हो जाते हैं। होटल की आड़ में मयखाना चलाने वालों की इसमें चांदी भी खूब कटती है। दरअसल शराब के नशे में धुत लोगों को यह भी नहीं पता होता है कि उसने क्या खाया और बिल कितना हुआ। नतीजतन होटल मालिक मनमाफिक बिल लेने में सफल रहते हैं। ऐसा नहीं है कि इसकी खबर प्रशासन को नहीं होती है। सूत्रों की मानें तो सब कुछ मैनेज होता है। इसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि कुछ ग्राहकों द्वारा विरोध करने पर भी किसी बात की फिक्र नहीं होती। खास बात यह कि होटलों में जमा होने वाले पियक्कड़ों में अधिकतर युवा होते हैं। तेजी से फलते-फूलते इस गैर कानूनी कारोबार का खामियाजा उन होटल संचालकों को भी भुगतना पड़ता है जो साफ-सुथरी छवि वाले होते हैं। आटा के साथ घुन भी पिसाने वाली कहावत इन पर चरितार्थ हो जाती है। क्योंकि ग्राहक इन्हें भी शक की निगाह से देखते हैं।