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कर्मी सहित ग्राहकों को झेलनी पड़ती परेशानी

सुपौल : एक तरफ राष्ट्रीयकृत बैंक व निजी बैंकों के द्वारा ग्राहक सुविधा प्रदान करने के लिए होड़ मची हु

By Edited By: Published: Sun, 29 Nov 2015 05:40 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2015 05:40 PM (IST)
कर्मी सहित ग्राहकों को झेलनी पड़ती परेशानी

सुपौल : एक तरफ राष्ट्रीयकृत बैंक व निजी बैंकों के द्वारा ग्राहक सुविधा प्रदान करने के लिए होड़ मची हुई है। वहीं दूसरी तरफ जिले में एक ऐसा राष्ट्रीयकृत बैंक भी है जहां ग्राहकों को बैठने की बात तो दूर खड़ा होने तक की भी जगह बैंक में नहीं है। हम बात कर रहे हैं सदर प्रखंड स्थित लौकहा में पंजाब नेशनल बैंक शाखा की। जो बैंक सुपौल, सहरसा व मधेपुरा के मुहाने पर स्थित है और इस बैंक से लगभग दर्जनों गांवों के लोग जुड़े हुए हैं। बावजूद सुविधा ऐसी है कि ग्राहक अब लेन-देन करने के लिए बैंक से तौबा करने को है। तीस वर्ष पूर्व स्थापित इस बैंक के पास न बड़ा कमरा है और न ही लोगों को रूकने की जगह। मुख्य सड़क के किनारे अवस्थित इस बैंक के आसपास पार्किंग की भी कोई सुविधा नहीं है। बैंक के अंदर की बात तो पूछिए मत। बैंक प्रवेश करने के लिए एक संकरी छोटी सी गली है। बैंक अधिकारी की बैठने तक की जगह काफी संकुचित है। लेन-देन के लिए बनाये गये काउंटर कमरे की आधी जगह को छेके हुए है। एक छोटी सी जगह में ग्राहक खड़ा होकर बैंकिंग कार्य करते हैं। यदि किसी ग्राहक को एक घंटा बैंक में रुकना होता है तो समझिए उनको एक सजा के रूप में समय काटना पड़ता है। जब इस जगह बैंक को स्थापित किया गया तो उस समय बैंक के आगे एक अच्छा-खासा क्षेत्रफल में खाली जगह थी। जहां ग्राहक पार्किंग के अलावा आराम करने का भी काम करते थे। बदलते समय के साथ भवन मालिकों द्वारा उस जगह को भी अपने निजी उपयोग में लाया जाने लगा और आज स्थिति ऐसी है कि ग्राहक सुविधा के नाम पर न पार्किंग और न ही बैंक के अंदर खड़ा होने की जगह तक है। एटीएम की बात तो यहां के ग्राहकों के लिए आज भी दूर की बात बनी हुई है।

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कहते हैं शाखा प्रबंधक

पूछने पर शाखा प्रबंधक पंकज कुमार ने कहा कि वर्तमान में लगभग दस हजार ग्राहक इस बैंक को है। नित्य दिन लगभग पांच सौ ग्राहकों का आना-जाना लगा रहता है। कभी-कभी तो स्थिति भीड़ को देख अफरा-तफरी सी हो जाती है। आखिर नौकरी करनी है किसी तरह काम करना है।


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