मधेश के साथ अपनाई जा रही दोहरी नीति : देवराम
सुपौल। मधेश की जनता पूर्ण स्वतंत्रता के लिए वर्तमान संघर्ष में आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है।
सुपौल। मधेश की जनता पूर्ण स्वतंत्रता के लिए वर्तमान संघर्ष में आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है। हमारे 33 हजार कार्यकर्ता हैं जो आज अपनी भाषा, रहन-सहन, संस्कृति, सभ्यता, स्वाभिमान, सम्मान के साथ-साथ अपनी पहचान को बरकरार रहना चाहते हैं। हम गुलाम बनकर दूसरे के दोहन के शिकार नहीं हो सकते। उक्त बातें स्वतंत्र मधेश गठबंधन सुनसरी जिला नेपाल के संयोजक देवराम यादव मधेशी ने पत्रकारों से कही। कहा कि नेपाल के कुल आबादी का लगभग 51 प्रतिशत जनता मधेश की है। लेकिन इन मधेशियों के साथ सरकार के द्वारा दोहरी नीति अपनाई जा रही है। राप्ति नदी से पूरब झापा के कनकाई नदी तक के क्षेत्र को 1816 में अंग्रेजों ने नेपाल के राजा को दान दिया था। 1860 में जंग बहादुर राना ने लखनऊ विद्रोह को दबाने के लिए नेपाल से सेना लिया था जो सेना लखनऊ विद्रोह को दबाने में काफी कारगर हुआ। इसी एवज में अंग्रेजों ने पुन: मधेश का चार जिला राप्ति नदी से पश्चिम बाकें बरदिया, कंचनपुर, केकाली दान में नेपाल के राजा को पुन: दे दिया। उस समय से आज जो 2015 ई. तक मधेशियों को नेपाल के राजा, राना और खस अहंकारी आज तक मधेशियों को गुलाम बनाकर उसकी अपनी पहचान को समाप्त कर दिया है। लेकिन अब मधेशी जग चुका है। ये अपने स्वतंत्र राज्य की माग कर रहा है। पहाड़ियों के द्वारा लगातार जुल्म ढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। मधेशी आंदोलन से जुड़े लोगो को तंग व तबाह किया जा रहा है। जो सरासर ़अन्याय है। हमारे राष्ट्रीय संयोजक डा. सीके राव हैं। जो अमेरिका में साइंटिस्ट थे इन्होंने इस लड़ाई के लिए वहा से इस्तीफा देकर अपने राष्ट्र नेपाल वापस आ गए और इस आदोलन में कूद पड़े है। इन्होंने यह भी कहा कि अहिंसावादी आदोलन कर रहे हैं, जिसे दमन करने का प्रयास किया जा रहा है। जो कि सरासर अन्याय है।