पंचायती राज व्यवस्था को कमजोर करने में लगी है केन्द्र सरकार: कांग्रेस
सुपौल। देश का विकास आम लोगों के विकास बिना संभव नहीं है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने आम लोगों
सुपौल। देश का विकास आम लोगों के विकास बिना संभव नहीं है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने आम लोगों के विकास के वास्ते ही पंचायती राज संस्था की नींव रखी थी। यूपीए सरकार में पंचायती राज की जहां चहुमुंखी विकास हुई। वहीं केन्द्र में एनडीए की सरकार बनते ही पंचायती राज कमजोर पड़ने लगा और पंचायत जनप्रतिनिधियों के मान सम्मान की रक्षा दांव पर लगने लगा। उक्त बातें शनिवार को स्थानीय कांग्रेस कार्यालय में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव डॉ. इरशाद अहमद खां ने प्रेस वार्ता के दौरान कही। बोले कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का सपना था कि पंचायती राज संस्था मजबूत हो और गांधी जी के ग्राम स्वराज सपना को सरजमीन पर उतारा जाए। लेकिन जब से केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार बनी, पंचायती राज व्यवस्था कमजोर होते गयी। मोदी की मंशा है कि हर लोग गरीब हो जाए और उद्योगपति मजबूत हो जाए। मोदी सरकार द्वारा सदन में लाए गए भूमि अधिग्रहण बिल अध्यादेश भी इसी मंशा को उजागर कर रहा है। इस बिल के लागू होने से शहर के पूंजीपति, कारपोरेट घरानों को मजबूत करना है और गांवों के लोगों को मजदूरी की श्रेणी में लाना है। जबकि भारत गांवों का देश है। गांव के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है। बोले कि मोदी का दोहरा चरित्र धीरे-धीरे सामने आ रहा है। उसके कथनी और करनी में काफी अंतर है। लोग धीरे-धीरे इसके चाल को समझ रहे हैं। यूपीए की ही योजनाओं को नाम बदल-बदल कर लोगों की वाहवाही लूटने में लगे हैं। यूपीए की सरकार में चाहे खाद्य सुरक्षा बिल या फिर विभिन्न पेंशन हो को भुनाकर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है। यहां के किसानों की स्थिति दिन व दिन बदत्तर होती जा रही है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम घटने के बावजूद भी मोदी सरकार द्वारा भैट अधिक लगाने के कारण आम लोगों को घटे मूल्य का फायदा नहीं मिल रहा है। अगर भैट कम कर दिया जाए तो आज भी किसानों को 35 रूपये प्रति लीटर डीजल मिलेगी। प्रेस वार्ता में जिलाध्यक्ष प्रो. विमल कुमार यादव, प्रदेश महासचिव डॉ. तारानंद सादा, राजनारायण प्रसाद गुप्ता, जयप्रकाश चौधरी के अलावा जितेन्द्र झा, नरेश मिश्र, संजीव कुमार यादव, मंगल ठाकुर मणि, श्रीमति गुंजन देवी, लक्ष्मण झा, शिव शंकर ठाकुर, अभय तिवारी, कृष्ण मोहन झा, विजय ठाकुर, पितांबर पाठक, रामजी सादा, ईद मोहम्मद, मो. मुस्तफा, मो. बदरुउद्दीन, रामसेवक सहनी, विभूति झा मौजूद थे।