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बेतरतीब बनते मकान नहीं कोई मास्टर प्लान

सुपौल। सुपौल की शक्ल तो बदल रही है, मगर इसमें सुंदरता का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। नए उभरते शहर की

By Edited By: Published: Sat, 04 Jul 2015 07:02 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2015 07:02 PM (IST)
बेतरतीब बनते मकान नहीं कोई मास्टर प्लान

सुपौल। सुपौल की शक्ल तो बदल रही है, मगर इसमें सुंदरता का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। नए उभरते शहर की श्रेणी में शामिल सुपौल में अब कंक्रीट के बड़े-बड़े इमारत खड़े हो रहे हैं। कई नई कालोनियां बस रही है। मगर सब कुछ बेतरतीब तरीके से। सुपौल में आवासीय योजनाओं के लिए न तो कोई मास्टर प्लान है और न ही नगर विकास विभाग के अधिनियम का ही अनुपालन। बेतरतीब तरीके से बन रहे आवासीय परिसरों पर न तो नगरपरिषद का अंकुश और न ही गृह निर्माण की नगरपरिषद को सही-सही जानकारी ही उपलब्ध। नतीजा घरों की संख्या में तो निरंतर वृद्धि हो रही है। पर आउटलुक के मामले में पिछड़ा ही रह गया सुपौल। आज कई वार्डो में न तो सड़क बनाने के लिए जमीन है और न ही नाला निर्माण की ही कोई गुंजाइश। अपने पूर्व की गलतियों की सजा भुगतने को विवश हैं लोग और नगरपरिषद की भी हो रही फजीहत।

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लगभग छह वर्ष पूर्व आवासीय परिसर निर्माण को ले लोगों द्वारा नगरपरिषद को आवेदन दी जाती थी। आवेदन उपरांत नक्शा बनता था। नगरपरिषद के कर्मी उक्त स्थल का मुआयना करते थे। उसके बाद गृह निर्माण की स्वीकृति दी जाती थी और जब जाकर घर बनता था।

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वर्तमान में क्या है प्रक्रिया

लोगों की जनसंख्या बढ़ी, ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी शहर की ओर आकर्षित हुए और महसूस की जाने लगी आवासीय परिसरों की आवश्यकता। आवासीय परिसर बनाने को ले अब लोग आवेदन के साथ-साथ नक्शा नगरपरिषद को उपलब्ध कराते हैं। नक्शे की स्वीकृति नगर विकास विभाग द्वारा पैनल में गठित आर्किटेक्ट के द्वारा की जाती है। जो नगर विकास विभाग के गाइड लाइन के अनुरूप होता है। किन्तु अमूमन घर निर्माण के क्रम में लोग नगर विकास विभाग के गाइड लाइन की अनदेखी करते हैं और मनमाने ढंग से घर बना डालते हैं।

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क्यों नहीं रहती नगरपरिषद को जानकारी

नगरपरिषद की माने तो गृह निर्माण करने वाले अधिकांश लोगों द्वारा गृह निर्माण की जानकारी परिषद को उपलब्ध नहीं करायी जाती है। जिन लोगों को गृह निर्माण के लिए बैंकों से लोन लेना होता है, अधिकांश वहीं लोग प्रक्रिया के तहत नगरपरिषद को जानकारी देते हैं। अन्यथा शेष लोग बिना किसी सूचना के आवास बना डालते हैं। कर्मियों की कमी के कारण नगरपरिषद इस दिशा में पूर्ण रूप से अंकुश नहीं लगा पाती। नतीजा नहीं हो पाता नगर विकास विभाग के गाइड लाइन का अनुपालन।

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विभागों से समन्वय नहीं होने से भी आती है समस्या

नगरपरिषद क्षेत्र में नगरपरिषद के अतिरिक्त अन्य कई विभागों द्वारा भी सड़क निर्माण व नाला निर्माण का कार्य करवाया जाता है। परंतु इसकी सूचना नगर परिषद को नहीं दी जाती और न ही नगरपरिषद से एनओसी ही लिया जाता है। परिणाम होता है कि मानक की अनदेखी होती है और समस्याएं सामने आती हैं।


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