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पावन प्रकाशोत्सव को ले जगमगा रहा गुरुद्वारा

सुपौल। थाना रोड स्थित गुरूद्वारा श्री गुरूसिंध सभा अपनी छटा बिखेरती अध्यात्म के रस रंग में सराबोर है

By Edited By: Published: Fri, 03 Jul 2015 07:12 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2015 07:12 PM (IST)
पावन प्रकाशोत्सव को ले जगमगा रहा गुरुद्वारा

सुपौल। थाना रोड स्थित गुरूद्वारा श्री गुरूसिंध सभा अपनी छटा बिखेरती अध्यात्म के रस रंग में सराबोर है। सिखों के छठे गुरू हरिगोविंद साहिब जी महराज के 336 वें पावन प्रकाशोत्सव 05 जुलाई 15 के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम के प्रथम दिन शुक्रवार को श्री गुरू सिंध सभा अखंड पाठ व शब्द कीर्तन से गुंजायमान है। धर्मावलंबी अपार श्रद्धा, भक्ति व उत्साह के साथ अखंड पाठ , शब्द कीर्तन के साथ ही गुरू के

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लंगर में कार सेवा में जुटे है। इस अवसर पर श्री गुरू सिंध सभा को दुल्हन कि तरह सजाया जा रहा है।

श्री गुरू सिंध सभा के कार्यवाहक सुपौल से पधारे सूरज सिंह ने बताया

कि शुक्रवार को प्रारंभ अखंड साहिब पाठ का समापन रविवार को किया जाना है। कार्यक्रम के दूसरे दिन शनिवार को नगर कीर्तन के साथ ही संध्या को दिवान कार्यक्रम आयोजित की जाएगी। इस बीच अबाध रूप से गुरू का लंगर जारी रहेगा। पटना से पधारे ग्रंथी गुरमित सिंह संता ने कहा कि छठे गुरू श्री हरिगोविंद जी महराज ने अषाढ़ कृष्ण पक्ष प्रथम , संवत 1652 विक्रमी के अनुसार 05 जुलाई 1995 को पाचवें गुरू श्री अर्जुन देव जी महराज एवं माता गंगा जी के घर जन्म लिया था। मात्र 11 वर्ष के आयु में शहादत से मात्र पाच दिन पहले गुरू श्री अर्जुन देव ने इन्हें गद्दी पर बिठाया और समझाया कि अब अत्याचारियों के विरूद्ध सत्य और मानवता की रक्षा के लिए स्वयं भी शस्त्रधारण करना और सिखो को भी शस्त्रधारी बनाना। गुरू गद्दी पर विराजमान होते समय छठे गुरू ने दो तलवारें धारण की। एक राजनीतिक शक्ति और दूसरी आध्यात्मिक शक्ति गुरू जी ने अमृतसर में लोहगढ नाम का एक किला भी तामीर करवाया। जिसका नाम अकाल तख्त पडा। गुरू सिंध सभा में ग्रंथी राजेन्द्र सिंह ने कहा कि जहांगीर ने

गंरू जी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए आगरा बुलाया और छल से कैद कर ग्वालियर के किले में भेज दिया। जहा पूर्व से ही 52 हिन्दू राजा बगावत के आरोप में कैद थे। गुरू जी के कैद में रहने से पंजाब में लोगो ने शांतिप्रिय आदोलन चलाया। आदोलन के मद्देनजर जंहागीर ने गुरू जी को कैद से मुक्त करने की बात कही। किन्तु गुरू जी सभी हिन्दू राजा को कैद से मुक्त करवाना चाहते थे। गुरू जी के प्रयास से सभी हिन्दू राजा भी कैद से मुक्त हो गये। तब से गुरू जी बंदी छोड़

दाता के नाम से प्रसिद्ध हो गये। मौके पर पटना से पधारे रागी जत्था के हरिंदर सिंह, बाहर से आये संतो के अलावा गुरूद्वारा प्रबंध कमेटी के प्रधान सरदार हरभजन सिंह,सचिव

राजेन्द्र सिंह ,सरदार बलजीत सिंह, सरदार गुरू बच्चन सिंह, सरदार मंजीत सिंह मलहोत्रा, बलवंत कौर , सतीन्द्र कौर, दर्शन सिंह, सुरेन्द्र सिंह, मंजीत कौर, दिप्ती कौर, यशपाल सिंह, स्वर्ण सिंह, सतपाल सिंह, पिन्टू सिंह, सन्नी सिंह , विक्की ंिसंह, सरदार राजू सिंह आदि शामिल थे।


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