सिस्टम में फंसा फसल क्षति अनुदान, नहीं हो रहा भुगतान
सुपौल, जागरण संवाददाता: बेवस और लाचारी का चोला पहने किसानों के फसल क्षति के बाद सरकार द्वारा घोषित अ
सुपौल, जागरण संवाददाता: बेवस और लाचारी का चोला पहने किसानों के फसल क्षति के बाद सरकार द्वारा घोषित अनुदान सरकार के द्वारा निर्धारित नियम के पेंच में ही फंसता नजर आ रहा है। एक महीने बीतने को है, परन्तु अधिकांश किसान आशा में ही नजर टिकाये है कि उनके खाते में रुपये आएंगे। इधर अनुदान से जुड़े विभाग के बाबू सीधे तौर पर यह कह कर पल्ला झाड़ लेते हैं कि जो प्रक्रिया थी, वह पूरी कर बैंक को एडवाइस भेज दिया गया है। अब बैंक जाने कि कब रुपया खाते में डालेगा। बैंक के बाबू अपने को व्यस्त दिखाकर अभी इसे तबज्जो नहीं दे रहे।
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दस प्रतिशत किसानों के खाते में ही पहुंच पाई है राशि
गत दिनों रबी फसल को प्राकृतिक आपदा ने इस प्रकार अपने आगोश में ले लिया था कि किसानों की कमर ही तोड़ डाली। बेवस किसानों की स्थिति को देख सरकार ने अनुदान देने की बात कही। इसके लिए पंचायत स्तर पर नियुक्त किसान सलाहकार, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, अंचलाधिकारी व आरडीओ के जिम्मे अनुदान वितरण करने की एक व्यवस्था बनायी। तय व्यवस्था के तहत फसल को सिंचित व असिंचित भागों में विभक्त कर अनुदान की राशि अलग-अलग निर्धारण के अलावा इन अधिकारियों के द्वारा एडवाइस के जरिये किसानों के बैंक खातों में राशि भेजने का प्रावधान रखा गया। बस यहीं सिस्टम के चक्कर में महीने बीतने को है, परन्तु जिले के महज 10 प्रतिशत किसानों के खाते में भी राशि नहीं पहुंच पाई है।
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बैंक की नहीं दिख रही दिलचस्पी
फसल अनुदान राशि के वितरण पर अगर कुछ प्रखंडों पर नजर डाले तो यह साफ-साफ जाहिर हो जाता है कि बैंक अधिकारी खाता में पैसा भेजने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। पिपरा प्रखंड के आरडीओ के मुताबिक 4 हजार 9 सौ 2 किसानों के अनुदान हेतु संबंधित बैंक को एडवाइस भेजा गया है। जिसमें महज 1 हजार 7 सौ 57 किसानों के खाते में ही राशि पहुंच पायी है। इसके जवाब में आरडीओ बताते हैं कि बैंक महज एक दिन में 50 से 60 किसानों के खाते में पैसा भेजते हैं। उसमें भी यदि लिंक फेल हो गया, या फिर बैंक कर्मी को अपने काम से फूर्सत मिल गई तो फिर यह काम करते हैं। परिणाम है कि किसानों को अगली फसल की चिंता सताने लगी है और किसान की राशि बैंक में प्रक्रियाधीन है। किशनपुर में भी बीस सूत्री बैठक में गत दिनों यह मामला जोर-शोर से उठाया गया था।