नहीं बिक रहा धान, चिंतित हो रहे किसान
सुपौल, जागरण संवाददाता:आजादी के बाद देश में जितनी भी सरकारें आई, सभी ने किसान व किसानी को ले चिंता ज
सुपौल, जागरण संवाददाता:आजादी के बाद देश में जितनी भी सरकारें आई, सभी ने किसान व किसानी को ले चिंता जताई। तरह-तरह की योजनाएं संचालित कर अनाज उत्पादन को ले किसानों को प्रोत्साहित किया गया। नतीजा हुआ कि अपना देश भारत खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बन चला। आज किसान अन्न उत्पादन में अग्रणी की भूमिका निभा रहे हैं। किन्तु विडंबना ही कहिये कि आज उन्हें अपने उत्पादित अनाज को औने-पौने दामों में बेचना पड़ रहा है। सरकार द्वारा अनाज का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाता है। अनाज अधिप्राप्ति को ले क्रय केन्द्र खोले जाते हैं। किन्तु तब तक काफी विलंब हो चुकी होती है और किसान मनमसोस कर अपने उत्पादन को औने-पौने बेच डालते हैं। आखिर ऐसे में किसानों का जीवन स्तर कैसे सुधरेगा और किसानी के प्रति उनमें ललक कैसे पैदा होगी।
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116 पैक्स हैं क्रियाशील
जिले में धान अधिप्राप्ति को ले 66 हजार मीट्रिक टन का लक्ष्य रखा गया है। जिसके तहत राज्य खाद्य निगम को 13 हजार मीट्रिक टन व पैक्सों को 53 हजार मीट्रिक टन धान की अधिप्राप्ति करनी है। जिले में सभी प्रखंड मुख्यालय में राज्य खाद्य निगम को धान अधिप्राप्ति का निर्देश दिया गया है। वहीं धान अधिप्राप्ति को ले 154 पैक्सों का चयन किया गया है। जिसमें वर्तमान में 116 पैक्स क्रियाशील हैं। सरकार द्वारा धान अधिप्राप्ति के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की गई। जिसके तहत साधारण धान 13 60 रूपये प्रति क्विंटल व ए ग्रेड धान 1400 रूपये प्रति क्विंटल खरीद की जानी है। इधर सरकार ने 3 सौ रूपये प्रति क्विंटल बोनस देने की भी घोषणा की है। किन्तु इस आशय का पत्र फिलहाल जिले को अप्राप्त है।
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एसएफसी व पैक्स खरीदेंगे धान
इस वर्ष जिले में धान की अच्छी उपज हुई। सरकार ने भी धान के समर्थन मूल्य की घोषणा की। जिला स्तर पर धान अधिप्राप्ति का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इसके लिए एसएफसी व पैक्सों को क्रियाशील बनाया गया। बावजूद जिले में अब तक 66 हजार मैट्रिक टन धान अधिप्राप्ति लक्ष्य के विरुद्ध मात्र 410 मैट्रिक टन ही धान की अधिप्राप्ति हो पाई है।
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कभी लक्ष्य नहीं हो पाया पूरा
जहां तक धान अधिप्राप्ति की बात है तो जिले में विगत दो-तीन वर्षो में निर्धारित लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है। निर्धारित लक्ष्य का आधा ही जिले में धान अधिप्राप्ति संभव हो पाया है। वर्तमान में नमी के कारण धान अधिप्राप्ति में समस्या आ रही है। ऐसा आशा जताया जा रहा है कि नमी कम होने के बाद धान अधिप्राप्ति में तेजी आएगी।
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छोटे-मझोले किसान बेच चुके धान
धान को ले जिले में हमेशा समस्या ही रही है। छोटे और मझोले किसान अपने उत्पादित धान को बेच कर ही आगे की खेती करते हैं। धान तैयार हुए लगभग एक महीना बीत चले। किन्तु अब तक अधिप्राप्ति को ले क्रय केन्द्र सक्रिय नहीं किए जाने का खामियाजा किसानों को उठाना पड़ रहा है। नतीजा है किसान क्रय केन्द्र के भरोसे अपने अनाज को जमा नही रख सकते, उन्हें आगे की खेती जो करनी ठहरी। आलम है कि छोटे और मझोले किसान तो गांव के साहुकार व व्यापारी से लगभग अपना धान बेच चुके। अब साहुकार व व्यापारियों का यही धान क्रय केन्द्र पहुंचेगा। आखिर विलंब से क्रय केन्द्र खुलने का खामियाजा तो किसानों को ही उठाना पड़ रहा है।
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- कोट
'इस बार सभी किसानों का डाटा बेस बना है और सूची संबंधित क्रय केन्द्रों पर उपलब्ध है। उसी के आधार पर किसानों से उनका धान खरीदा जाएगा। फिलहाल नमी के कारण धान अधिप्राप्ति की गति धीमी है। नमी कम होने पर धान अधिप्राप्ति में तेजी आएगी।'
सुशील कुमार
जिला आपूर्ति पदाधिकारी