राहत मामले में मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत: मंत्री
सुपौल जागरण संवाददाता: जिला बीस सूत्री प्रभारी मंत्री नरेन्द्र नारायण यादव ने राहत एवं अनुश्रवण समिति की बैठक में कहा कि राहत के मामले में मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। राहत बंटवारे में सरकार के निर्देश के आलोक में कोई भ्रांति नहीं होनी चाहिये। मंत्री ने बाढ़ सहाय के मामले में दलगत भावना से उपर उठकर सहयोग देने और अपने विचार देने के लिये उन्होंने प्रतिनिधियों को साधुवाद दिया। जिला प्रशासन से स्पष्ट रूप से कहा कि जिन नाव मालिकों का भुगतान लंबित है, शिविर लगाकर उसका भुगतान किया जाय। बाढ़ प्रभावित इलाके में अतिरिक्त केरोसीन के आवंटन का उन्होंने निर्देश दिया। टूटे तटबंधों, केनालों के लिये संबंधित विभाग को निर्देश जारी करने का आदेश दिया।
उन्होंने गृह क्षति का सर्वेक्षण बरसात के बाद कराने का निदेश जिलाधिकारी को दिया। बैठक को संबोधित करते हुए सूबे के वित्त मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा कि जिनका घर बह गया मुआवजा दिया जायेगा। फसल क्षति दी जायेगी। राहत सबको दिया जाना है। कहा कि बाढ़ के स्थाई निदान की तकनीक आज तक विकसित नहीं हो पाई है। हाईडैम भी बनेगा तो बालू रुकेगा लेकिन पानी तो आयेगा ही। विस्थापितों के पुनर्वास के सवाल पर उन्होंने जन प्रतिनिधियों से कहा कि सबको आगे आने की जरूरत है। जमीन उपलब्ध हो तो सरकार चौगुनी कीमत पर खरीदेगी। विधायक अनिरुद्ध प्रसाद यादव ने कहा कि राहत से छूटे लोगों को सूची में शामिल किया जाना चाहिये। राहत वितरण के कार्य को सुचारू रूप से संचालित किये जाने की जरूरत है। विधायक नीरज कुमार सिंह बबलू ने कहा कि कुछ दिन पहले बाढ़ के नाम पर अफवाह से अफरा-तफरी मच गई। लोगों को लेने के देने पड़ गये। इसके बावजूद जिला प्रशासन को मुस्तैदी के लिये उन्होंने धन्यवाद दिया। एक सवाल उठाते उन्होंने कहा कि सुरसर नदी छातापुर को दो भागों में विभक्त करती है। पूर्व में उसपर बांध था जो 2008 की त्रासदी में ध्वस्त हो गया। उन्होंने मंत्री से कहा कि विश्वबैंक के फेज-1 का जो पैसा बचा है उसी से तटबंध निर्माण की अनुशंसा कर दी जाय। इससे इलाके को एक बड़ी राहत मिलेगी। कहा कि पहले से बेहतर नहीं पूर्व की स्थिति में ही कोसी क्षेत्र को ला दिया जाय। इसके लिये पुनर्वास पर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। बाढ़ के भय और आतंक से बचने के लिये स्थाई निदान की ओर कार्य किये जाने की आवश्यकता है। विधायक ने 2008 की त्रासदी में ध्वस्त हुए बलुआ उधमपुर सड़क की ओर सदन का ध्यान आकृष्ट कराते कहा कि यह सड़क त्रासदी में 14 जगह टूटी जिसे आज तक नहीं भरा जा सका है। उन्होंने उसे तत्काल चलने लायक बनाने का भी अनुरोध किया। विधान पार्षद हारूण रसीद ने कहा कि 2014 में राहत दी जा रही है और सूची 2007 की इस्तेमाल की जा रही है। जबकि प्रभावितों को राहत दिया जाना है। क्यों उन्हें वंचित किया जा रहा है। कहा हरसाल नाविकों और नाव मालिकों का परवाना लटक जाता है। जिलाधिकारी एलपी चौहान ने प्रभावितों की सूची के बावत सदस्यों की भ्रांति दूर करने का प्रयास किया। बैठक में विधायक अमला देवी, जिप अध्यक्ष अंजू देवी, पूर्व विधायक यदुवंश कुमार यादव सहित राजनैतिक दलों के अध्यक्ष, प्रखंड प्रमुखों ने भी अपने विचार रखे। मौके पर सदस्यों के अलावे पुलिस अधीक्षक पंकज कुमार राज, डीडीसी हरिहर प्रसाद,अनुमंडल पदाधिकारी समेत संबंधित विभाग के अधिकारी मौजूद थे।