पता नहीं फिर कब दौड़ेगी प्रतापगंज में रेल
प्रतापगंज(सुपौल),संवाद सूत्र : कुछ वर्षो पूर्व तक चौबीसों घटे यात्रियों से गुलजार रहने वाला प्रतापगंज रेलवे स्टेशन आज विभागीय उपेक्षा की वजह से अब खौफनाक सा दिखने लगा है। स्टेशन परिसर में अब जंगली जानवर बैखौफ विचरण करते नजर आते हैं।
जब 20 जनवरी 2012 को राघोपुर से फारबिसगंज तक के लिए पार्टवाइज के
पहले चरण में बड़ी लाईन को ले विभाग द्वारा अमान-परिवर्तन की
घोषणा की गई थी, तो आसपास के क्षेत्रीय लोगों में विकास की एक नई
आस जगी थी। अमान-परिवर्तन में तेजी लाने के उद्देश्य से मेगा ब्लॉक
भी कर दिया गया। लेकिन मेगा ब्लॉक के इस क्रम में महज पड़ने वाले नदियों में कहीं पूल निर्माण के नाम पर कहीं पाईलिंग स्तर तो कहीं उससे थोड़ा उपर तक ही कार्य कर निर्माणाधीन कंपनियों द्वारा आवंटन के अभाव में कार्य को स्थगित कर दिया गया। जबकि मेगा ब्लॉक के इस दौरान अमान-परिवर्तन के कार्य की दिशा में जो कार्य पूर्ण कर लिया गया वह है रेलवे स्लीपर का हटाया जाना। इतना ही नहीं कभी सिग्नल के गिरते ही प्लेटफॉर्म पर खड़े यात्रियों में गाड़ी के आगमन की सूचना से चौकन्ना हो जाना पड़ता था। आज वहीं सिग्नल वर्षो से क्षेत्रीय लोगों को मुंह चिढ़ा रहा है। अमान-परिवर्तन की दिशा में कोई ठोस प्रगति नहीं होते देख क्षेत्रिय लोगों
में निराशा पूर्व से ही छाई हुई थी । फिर भी लोग बजट का इंतजार करते
रहे। बजट पश्चात क्षेत्रीय लोगों को एक बार फिर निराशा ही हाथ लगी।
क्षेत्रीय लोग आपस में बहस कर चुप हो जाते हैं। क्षेत्रीय लोगों का
कहना है कि जब मेगा ब्लाक किए गए इन क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण का भी
विवाद नहीं है। ऐसे में क्षेत्रवासियों को किन कारणों से उपेक्षा का शिकार बनाया जा रहा है। देखना है आखिर कब चालू होता है अमान-परिवर्तन का शेष कार्य। जब प्रतापगंज से देश के कोने-कोने में बड़ी रेल लाईन के सफर तय करने हेतु लोग सुविधा की आश लगाए हुए बैठे हुए हैं। गत दिनों रेलवे के वरीय अधिकारी के क्षेत्रीय दौरा से एक बार फिर से लोगों में एक नई आस जगी।
परिवर्तन की आस देख रहे मिथिला मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार
उर्फ बंटी यादव ने बताया कि ललित नारायण मिश्र द्वारा मिथिलाचल के देखे
गए सपनों को वर्तमान युवा पीढ़ी को राजनीति से उपर उठकर देखना और
सोचना होगा। श्री यादव ने मिथिलाचल के विकास हेतु युवाओं को एक मंच पर आने का आह्वान किया। ताकि उनके द्वारा देखे गए मिथिलाचल के विकास के सपने साकार हो सके। इतना ही नहीं उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि ललित बाबू के सपने को जात-पात की राजनीति से उपर उठकर देखें। ताकि उनके द्वारा मिथिलांचल के विकास की सोच आम लोगों के बीच मूर्त्तरूप ले सके।