महिलाओं में मुखर बनाने में जीविका का योगदान: डीडीसी
सुपौल, जागरण संवाददाता : बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन परियोजना (जीविका) द्वारा गठित स्वयं सहायता समूहों के वित्तिय समावेशन पर एक कार्यक्रम का आयोजन बुधवार को बीएसएस कॉलेज के सभागार में किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन उप विकास आयुक्त हरिहर प्रसाद ने किया। उप विकास आयुक्त ने कहा कि बिहार सरकार की यह परियोजना गरीबी निवारण के उद्देश्य से बनाई गई है जो पूरे राज्य में एक मौन क्रांति का सूत्रपात कर चुकी है। आज गांव की महिलाएं हस्ताक्षर करना ही नहीं बल्कि वित्तिय लेनदेन के हिसाब किताब का लेखा जोखा भी आसानी से रख रही है। महिलाएं मुखर हुई है और उन्हें मुखर बनाने में जीविका अपनी भूमिका निभा रही है। भारतीय स्टेट बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक शैलेन्द्र कुमार यादव ने कहा कि जीविका परियोजना द्वारा गठित स्वयं सहायता समूहों का वापसी प्रतिशत 95 प्रतिशत से भी अधिक है। इस प्रतिशत के साथ जीविका समूहों ने जो अपनी शाख बनाई है, उसके आधार पर कोई भी बैंक इन्हें ऋण उपलब्ध करवाने में अग्रसर रहेगा। वहीं जीविका के जिला परियोजना प्रबंधक मनीष कुमार ने कहा कि यह परियोजना कोसी के तीनों जिलों के सभी प्रखंडों में अपनी गतिविधि प्रारंभ कर चुकी है। सुपौल में अब तक 5200 स्वयं सहायता समूह सहित 340 ग्राम संगठन एवं 7 संकुल स्तरीय संघों का गठन किया जा चुका है।
कार्यक्रम में जीविका स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की उपस्थिति में विभिन्न बैंकों ने अलग-अलग समूहों को ऋण उपलब्ध करवाया। भारतीय स्टेट बैंक द्वारा कुल 233 समूहों को 1,23,00,000 रूपये, पंजाब नेशनल बैंक द्वारा 82 समूह को 41,00,000 रूपये, उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक द्वारा 154 समूह को 77,00,000 रूपये, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा 18 समूह को 9,00,000 रूपये तथा बैंक ऑफ इंडिया द्वारा 17 समूह को 8,50,000 का ऋण प्रदान किया गया। कार्यक्रम को अपर समाहर्ता(आपदा) अरूण कुमार, डीआरडीए निदेशक ब्रज किशोर लाल, अग्रणी बैंक प्रबंधक मनीष बोस आदि ने भी संबोधित किया। मौके पर बीएसएस कॉलेज के प्राचार्य डा. संजीव कुमार, शाखा प्रबंधक बीएन झा, सुधीर कुमार, एके मिश्रा, अशोक कुमार, नीरज किशोर प्रसाद सहित जीविका के गुलाम कौसर, धर्मेन्द्र कुमार द्विवेदी, अमित कुमार, नील कमल चौधरी, रंधीर कुमार चौधरी, विधाता सहित प्रखंडों से आए प्रखंड परियोजना प्रबंधक आदि मौजूद थे।