कलकलहा का पुराना इतिहास बचाने को ग्रामीण हुए एकजुट
सिवान। जीरादेई प्रखंड के तितर गांव के तितिर स्तूप के पास कलकलहा पोखरा अपने भूगर्भ में प्राच
सिवान। जीरादेई प्रखंड के तितर गांव के तितिर स्तूप के पास कलकलहा पोखरा अपने भूगर्भ में प्राचीन इतिहास को समेटे हुए है। यह ऐसा पोखरा है जो कभी सूखता नहीं था। लेकिन इसकी ऐसी अनदेखी की गई कि सात-आठ वर्षो से बिल्कुल सूख गया है और इसकी जमीन में दरारें पड़ गई। लेकिन अब इस पोखरे को ग्रामीणों ने जीर्णोद्धार के लिए संकल्प ले लिया है। स्वयं शक्ति से उसके उत्थान और प्राचीन इतिहास के तौर पर धरोहर को बचाने का संकल्प लिया है।
स्नान से दूर होती है एक्जिमा की बीमारी
ग्रामीण अशोक सिंह तो इसकी महत्ता को बताते थकते नहीं। उन्होंने बताया कि इस तालाब का पानी इतना पवित्र व शुद्ध है कि इस तालाब में स्नान करने के बाद उसको कभी एक्जिमा (खुजली) की बीमारी नहीं होती या जिसको यह बीमारी हुई है वह इसमें स्नान कर ले तो वह एकदम ठीक हो जाता है। पूर्व में यह तालाब बहुत गहरा था लेकिन आज कल रेलवे के कार्य से इसकी गहराई और भूमि बाधित हो गई है। कुछ हिस्सा रेलवे का काम चलने के कारण अतिक्रमित हो गया गया है। इस तालाब की प्राचीनता का पता इसी बात से लग जाता है कि जब अंग्रेज काल में रेलवे लाइन की स्थापना हो रही थी तो यह तालाब बहुत बड़ा था, पर तालाब के बीचोबीच से ही रेलवे लाइन बिछ गई जिसकी वजह से यह छोटा हो गया, फिर भी यह लगभग चार बीघे में है। पशु पक्षी के लिए यह तालाब लाभप्रद था, क्योंकि इसके सटे हिरौरी एक उपटोला है जो कभी चरागाह था। ऐसे ऐतिहासिक पोखर का इतिहास बचाने को लोग अब आगे आए हैं। यह संभव हुआ है दैनिक जागरण की वजह से। दैनिक जागरण के अभियान 'तलाश तालाबों की' से प्रेरित होकर अब यहां के स्थानीय निवासियों ने इस तालाब का वास्तविक स्वरूप वापस लाने का संकल्प लिया है। साथ ही इसका पानी कभी सूख न जाए इसके लिए ठोस कदम उठाने पर भी चर्चा की गई।
प्राचीन इतिहास को समेटा कलकलहा पोखरा :
ग्रामीण बताते हैं कि इस तालाब से सटे यहां प्राचीन वाणीगढ़ है जो आज भी बहुत विशाल है। कहा जाता है कि इस गढ़ पर मल्ल राजा का शयनकक्ष था, उसके बाद यहां चेरो राजा बसे थे। यह तालाब उसी जमाने का है, क्योंकि इसमें कसीदाकारी ईट मिलते हैं जो प्राचीन प्रतीत होते हैं। इसकी बहुत समानता नालंदा के खंडहर में प्राप्त ईटों से मिलती है। यहां पर प्रचुर मात्रा में एनपीबी के टुकड़े व बुद्ध के खंडित प्रतिमा भी मिलते हैं जो इस तालाब की प्राचीनता को और मजबूत करते हैं।
तालाब को बचाने का लोगों ने लिया संकल्प :
तितरा बंगरा के ग्रामीणों ने इस तालाब के जीर्णोद्धार के लिए बैठक की तथा तालाब के पानी से सदैव भरे रहने के लिए जो भी उपाय हो उसको किए जाने का संकल्प लिया। लोगों ने इसके पास बोरिंग कराने की भी बात की, क्योंकि जब भी पानी सूख जाएगा तो पंप सेट का उपयोग कर पानी भर दिया जाएगा। इसके बांध को और मजबूत करने पर भी जोर दिया गया, क्योंकि इसका पानी बाहर न निकल पाए।
कहते हैं ग्रामीण :
तितरा बंगरा निवासी सुधांशु शेखर ने कहा कि यह सरकारी पोखरा है। सरकार जल संकट को ले चिंतित भी है। वह इसे मनरेगा के तहत लेकर काम करे तो आसानी से इसका कायाकल्प हो सकता है।
बंगरा के योगेन्द्र शर्मा ने कहा कि इस तालाब की ऐतिहासिक महत्व जगजाहिर है, क्योंकि यह तालाब वाणीगढ़ का अंश हे। इसकी प्राचीनता को शोध करने के लिए विदेशी शोधकर्ता भी आ रहे हैं। अभी विगत माह वियतनाम, थाईलैंड, वर्मा से छह सदस्यीय विदेशी टीम आई थी जो घूम-घूमकर यहां से मृदुभाण्ड व तालाब के सीढ़ी में प्रयुक्त ईट के टुकड़े को साथ भी लेकर गए।
बंगरा के अशोक सिंह ने कहा है कि आज पूरी दुनिया जल संकट से ग्रसित है। हमें केवल सरकार पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए। इसके लिए खुद पहल करें व बरसात के पानी को संरक्षित करने का उपाय जो पहाड़ी क्षेत्र के लोग कर रहे हैं हमलोग भी उसी तरह करें।
तितरा बंगरा के ललितेश्वर राय ने कहा कि सबसे पहले तो गांव में जितने सरकारी तालाब हैं उसका रकबा सरकार बताकर उसे अतिक्रमण से मुक्त कराएं, क्योंकि बहुत से सरकारी तालाब को कुछ ग्रामीणों द्वारा अतिक्रमित कर लिया गया है। इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में तालाब का अस्तित्व ही मिट जाएगा।
बंगरा के शत्रुघ्न प्रसाद ने कहा कि दैनिक जागरण जो अभियान चला रहा है इसे तो सरकार को करना चाहिए, फिर भी पहल के बाद जिस तालाब की खबर छप रही है उसे सरकार चिह्नित कर अपने स्तर से काम करे, केवल खानापूर्ति से काम नहीं चलेगा।
समाजसेवी महात्मा भाई ने कहा कि इस अभियान में तो जनप्रतिनिधि को बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए, क्योंकि उनके पास सरकार द्वारा प्रदत्त अधिकार है व साथ में जनता भी है। पता नहीं यहां के एमपी व विधायक कहां हैं।
कहते हैं अधिकारी :
मनरेगा के पीओ अमित नारायण ने बताया कि इस तालाब को संरक्षित कर सौंदर्यीकरण भी किया जाएगा। हालांकि बहुत से तालाबों को संरक्षित किया गया है। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण भी होगा, मगर इस अभियान में ग्रामीणों की मदद की जरूरत है।
सीओ सत्येन्द्र चौधरी ने कहा कि यह तालाब अतिक्रमित नहीं है। मुझे भी इसके प्राचीनता के बारे में ग्रामीणों द्वारा बताया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रखंड में जितने भी सरकारी तालाब हैं उसकी पहचान की जा रही हे जो भी अतिक्रमित होगा उसे शीघ्र मुक्त कराया जाएगा।