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मो. शहाबुद्दीन की आपराधिक याचिका खारिज

सिवान। अपर जिला न्यायाधीश चतुर्थ अजय कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने शनिवार को अपहृत सहोदर भाइया

By Edited By: Published: Mon, 25 Jul 2016 03:05 AM (IST)Updated: Mon, 25 Jul 2016 03:05 AM (IST)
मो. शहाबुद्दीन की आपराधिक याचिका खारिज

सिवान। अपर जिला न्यायाधीश चतुर्थ अजय कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने शनिवार को अपहृत सहोदर भाइयों के अपहरण सह हत्या से जुड़े चर्चित तेजाब कांड के चश्मदीद गवाह राजीव रौशन की हत्या से जुड़े मामले में सह अभियुक्त पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के विरुद्ध तत्कालीन सीजेएम द्वारा लिए गए संज्ञान के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। चश्मदीद गवाह राजीव रौशन की हत्या के पश्चात नगर पुलिस ने तत्कालीन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अशोक राज की अदालत में चार्जशीट समर्पित की गई थी। इसपर सुनवाई के बाद अदालत ने मामले के सह अभियुक्त मो. शहाबुद्दीन के विरुद्ध हत्या को ले संज्ञान ले लिया। अदालत के उस आदेश के विरुद्ध आपराधिक रीवीजन याचिका 103/15 जिला एवं सत्र न्यायाधीश के अदालत में मो. शहाबुद्दीन की ओर से दाखिल की गई थी। यह याचिका स्थानांतरित होकर अपर जिला न्यायाधीश चतुर्थ अजय कुमार श्रीवास्तव की अदालत में सुनवाई के लिए आई। कई तिथियों पर बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अभय कुमार राजन एवं अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक रघुवर सिंह ने बहस की। दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात अदालत ने शहाबुद्दीन की इस याचिका को खारिज कर दिया गया।

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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मृतक राजीव रौशन तेजाब कांड के अपहृत सहोदर भाई गिरीश एवं सतीश का बड़ा भाई था। तेजाब कांड से जुड़े सेशन मामले 158/10 में बतौर चश्मदीद गवाह राजीव रौशन ने अपनी गवाही दर्ज कराई थी। गवाही के बाद जुलाई 2014 में राजीव रौशन की हत्या डीएवी कॉलेज मोड़ पर कर दी गई थी। उस हत्याकांड को लेकर मृतक राजीव रौशन के पिता चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के बयान पर संलिप्तता के आधार पर मो. शहाबुद्दीन एवं अन्य के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई थी। ज्ञात रहे कि तेजाब मामले में भी मो. शहाबुद्दीन अप्राथमिक अभियुक्त थे और मंडल कारा में गठित विशेष अदालत विचारण के पश्चात मो. शहाबुद्दीन को कांड का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुना चुकी है।


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