राज खुलने के डर से जल्दबाजी में हुई हत्या!
सिवान । पचरूखी के हरिशंकर सिंह के अपहरण की साजिश क्या निकट संबंधियों ने मिलकर रची थी? क्या अपहरण का
सिवान । पचरूखी के हरिशंकर सिंह के अपहरण की साजिश क्या निकट संबंधियों ने मिलकर रची थी? क्या अपहरण का मकसद फिरौती थी लेकिन इस अपहरण में शामिल लोग हरिशंकर सिंह का सामना नहीं कर सके और उन्हें मौत के घाट उतारना इन लोगों की मजबूरी बन गई? हत्या के खुलासे के बाद एक-एक कर जो सूचनाएं आ रही हैं उससे पूरा प्रकरण रिश्तों को तार-तार करने वाली ऐसी घटना के रूप में सामने आ रहा है जिसमें पूरी प्लानिंग फूल प्रूफ बनाई गई थी। लेकिन अचानक बदले घटनाक्रम में अपराधी जल्दबाजी पर उतर आए। अपहरण के बाद से हत्या के खुलासे तक कुल 11 दिनों के बीच हुए घटनाक्रम में परिजनों ने पुलिस को भी कई बातों की जानकारी नहीं दी लेकिन गुपचुप हो रही बातचीत, फोन पर मोल भाव, आश्वासन दर आश्वासनों का कोई संकेत है तो साफ है कि इसमें केवल एक ही निकट संबंधी शामिल नहीं था। शक की सूई परिवार के और लोगों की ओर भी घूम रही है। कहा जा रहा है कि अपहरण के बाद से परिवार का हमदर्द बनकर व्यवसायी की सकुशल वापसी का आश्वासन देने वाला इस परिवार का निकट संबंधी ही था। परिवार की एक महिला को भी इस प्रकरण में शामिल माना जा रहा है। चर्चाओं की मानें तो अपहरण के शुरुआती दिनों में ही परिजनों को आभास हो गया था कि अपहरण में किसी बड़े संगठित गिरोह का हाथ नहीं है। इसी कारण एक ओर जहां पिता व कुछ अन्य परिजन सीएम से पहल की बात कर रहे थे, परिवार के अन्य लोग सच्चाई जानने के कारण आगे कदम बढ़ाने से हिचक रहे थे। ऐसे में व्यवसायी का एक रिश्तेदार जब हमदर्द बनकर आया तो आशा की किरण जगी। चर्चाओं की मानें तो इस व्यक्ति ने आश्वासनों की घुंट्टी ऐसे पिलाई कि पूरा परिवार भरोसे में था।
उधर घटनाक्रम पर नजर रखने वालों की मानें तो शुरू में यह अपहरण फिरौती के लिए ही हुआ था। प्लानिंग व्यवसायी को दो-तीन दिन घर से दूर रखकर परिवार को मोटी रकम देने के लिए राजी कर लिया जाएगा। व्यवसायी की माली हालत भी ऐसी थी कि पैसे की बात चलने पर किसी को आपत्ति नहीं होती। सूत्रों के मुताबिक परिजनों की भी इस मामले में रजामंदी थी कि अगर कहीं से पैसे का जिक्र आता है तो लेनदेन करके भी व्यवसायी को मुक्त करा लिया जाए। लेकिन प्लानिंग एकदम सटीक नहीं रह सकी। हरिशंकर सिंह का अपहरण कर ले जाने वाले लोग जानते थे कि वापस आने के बावजूद हरिशंकर सिंह शायद ही घटनाक्रम को भूला पाएंगे इसलिए तत्काल उन्हें रास्ते से हटाने की योजना बनी। उधर साजिश के शुरुआती दिनों में शामिल लोग पुरानी प्लानिंग के हिसाब से घर के लोगों को फिरौती के लिए राजी करने और सुरक्षित वापसी का आश्वासन देने में ही लगे रहे। भनक लगने पर सिवान पुलिस जिस हमदर्द के पीछे लगी वह ऐसी ही प्लानिंग का हिस्सा बताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक वह इस परिवार का निकट संबंधी है और पुलिस भी मानती है कि वह पकड़ में आ जाता तो पूरे घटनाक्रम का खुलासा हो जाता।
पुलिस सूत्रों ने जागरण से बातचीत में कहा कि मुख्य तौर पर हत्या में शामिल लोग पकड़ लिए गए हैं। उनसे मिली जानकारी के मुताबिक जांच प्रक्रिया आगे जारी रहेगी। जहां तक साजिश के बिंदु का प्रश्न है पुलिस जांच करेगी कि और कौन-कौन लोग इस मामले के राजदार थे। पुलिस दिल्ली भाग निकले हमदर्द के बारे में भी पूरी जानकारी ले रही है।