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शांतिपूर्ण माहौल में हुआ पार्ट वन का नामांकन

सिवान। डीएवी पीजी कालेज में हंगामे को लेकर दुबारा बढ़ी सीटों पर वंचित छात्रों को नामांकन

By Edited By: Published: Fri, 28 Aug 2015 06:42 PM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2015 06:42 PM (IST)
शांतिपूर्ण माहौल में हुआ पार्ट वन का नामांकन

सिवान। डीएवी पीजी कालेज में हंगामे को लेकर दुबारा बढ़ी सीटों पर वंचित छात्रों को नामांकन शुक्रवार को शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हो गया। पुलिसिया सुरक्षा के बीच पूरे दिन नामांकन की प्रक्रिया चली। इस दौरान इंटर का नामांकन ठप रहा।

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मालूम हो कि एडमिशन का कोटा खत्म होने के बाद डीएवी कालेज में एडमिशन को ले रोजाना हो हल्ला हो रहा है। इसे देखते विश्वविद्यालय ने हर विषय में प्रवेश के इच्छुकों की सीटें बढ़ा दी हैं। इसके बाद प्राचार्य डा.अजय पंडित की देखरेख में 31 जुलाई व एक अगस्त को नामांकन शुरू हुआ। 31 जुलाई को नामांकन शांतिपूर्ण हुआ परंतु 1 अगस्त को छात्र आक्रोशित हो गए और बवाल शुरू कर दिया। कई घंटों तक बवाल चला। इसे देख प्राचार्य ने नामांकन स्थगित कर दिया था। इधर वंचित छात्र लगातार विवि के कुलपति व डीएम से नामांकन की गुहार लगाते रहे। इस पर कुलपति ने दो दिन नामांकन करने का निर्देश दिया है। कुलपति के आदेश पर गुरुवार व शुक्रवार को तीन टेबल बना कला, विज्ञान व वाणिज्य संकाय के 16 विषयों पर बीए पार्ट वन में वंचित छात्र-छात्राओं का नामांकन लिया गया। इस दौरान सुरक्षा को ले मजिस्ट्रेट व पुलिस बल कालेज परिसर में मुस्तैद दिखा।

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नामांकन नहीं हुआ तो झेलना पड़ेगा आक्रोश : आइसा

जासं, सिवान : सिवान, छपरा व गापोलगंज जिले को मिलाकर लगभग एक लाख छात्र हर साल इंटर पास करते है लेकिन जेपी विश्वविद्यालय पार्ट वन में हर साल सिर्फ 18 हजार छात्र-छात्राओं का प्रवेश लेता है। यह अन्याय है। आइसा के जिला संयोजक जयशंकर ने कहा कि इससे विवि स्तरीय शिक्षा पाने का युवाओं का सपना टूट रहा है। ऐसे माहौल में बच्चों को नामांकन कराने के लिए भी संघर्ष व आंदोलन करना पड़ रहा है। डीएवी पीजी कालेज में लंबे संघर्ष के बाद विश्वविद्यालय ने 25 प्रतिशत सीटों की बढ़ोत्तरी की थी लेकिन नामांकन के दौरान हुए हंगामे के चलते नामजद छात्रों का एडमिशन लेने से कालेज प्रशासन ने मना कर दिया है। यह गलत है। उन्होने कहा कि अगर प्राथमिकी वाले छात्रों का नामांकन नहीं हुआ तो प्राचार्य को फिर से छात्रों के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा।


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