चवन्नी की गिरफ्तारी से साजिशकर्ता तक पहुंची पुलिस!
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सिवान। सिवान के भाजपा सांसद ओमप्रकाश यादव के प्रेस प्रवक्ता श्रीकांत भारतीय की हत्या के मामले में वांछित मऊ के कुख्यात चवन्नी सिंह की गिरफ्तारी से इस मामले का पूरी तरह पर्दाफाश होने की उम्मीद बढ़ गई है। इस हत्याकांड में जिनलोगों का भी नाम आया है, वे या तो पुलिस गिरफ्त में हैं या जेल के भीतर। तीन अपराधियों को यूपी की एसटीएफ व सिवान की एसआइटी दबोच चुके हैं। लाइनर के रूप में चिह्नित उपेंद्र सिंह भी आत्मसमर्पण के बाद जेल के भीतर है। पुलिस के लिए अब यह जानना कठिन नहीं कि हत्यारों को सुपारी किसने दी थी। भारतीय के परिजनों के साथ सिवान के लोग भी इस हत्याकांड के मुख्य सूत्रधार का नाम जानने की उत्सुकता पाले हुए हैं। उम्मीद है जल्द ही पुलिस इसका भी खुलासा कर देगी। दरअसल पुलिस अब इस मामले के साजिशकर्ता तक भी पहुंच चुकी है। देरी बस नाम उजागर करने की है।
चवन्नी की गिरफ्तारी स्थानीय पुलिस टीम के लिए कई मायनों में सफलता के साथ सुकून की बात है। खासकर निवर्तमान एसपी विकास वर्मन के लिए यह बड़ी राहत है। उनकी विदाई से पूर्व इस घटना के मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी स्थानीय टीम की ओर से उनकी विदाई पर दिया गया तोहफा भी है। गिरफ्तारी भले लखनऊ एसटीएफ ने की पर सिवान एसआइटी की इसमें बड़ी भूमिका रही। ॉएसपी के निर्देश पर इंस्पेक्टर सुनील कुमार सिंह के नेतृत्व में गई टीम को लखनऊ एसटीएफ की मदद से मिली कामयाबी इंस्पेक्टर सुनील के लिए इस मामले में विशिष्ट है कि श्रीकांत भारतीय की हत्या के मामले की जांच के पहले अधिकारी वहीं थे और परिजनों के दबाव पर आईजी के निर्देश पर उन्हें बदला गया था किंतु बाद में एसआइटी का गठन भी उन्हीं के नेतृत्व में हुआ। इस मामले में अब तक जो गिरफ्तारी हुई है उनमें सिवान एसआइटी का नेतृत्व सुनील कुमार सिंह ने ही किया।
अब तक तीन गिरफ्तारियां, एक सरेंडर
पहली गिरफ्तारी 25 फरवरी को गोरखपुर के कोतवाली थानाक्षेत्र के घासीकटरा से डेयरी कारोबारी शैलेंद्र सिंह उर्फ शैलेंद्र यादव की हुई। गोरखपुर एसटीएफ टीम की मदद से बिहार पुलिस की विशेष टीम ने उसे हिरासत में लिया। पूछताछ में उसने सिवान के एक बाहुबली नेता से सुपारी लेकर मऊ जिले के शार्प शूटर चवन्नी सिंह के साथ मिलकर भारतीय को निशाना बनाने की बात कबूली थी। उसने सिवान के जीरादेई प्रखंड की भरौली पंचायत के भीखपुर निवासी चिमनी संचालक उपेंद्र सिंह का नाम लाइनर के रूप में लिया। बताया कि हत्या के पूर्व कई बार वह बस्ती के वि क्की के साथ कई बार सिवान आया और उपेंद्र सिंह ने ही उसे ठहराने से लेकर बाइक की व्यवस्था में सहयोग दिया।
सिवान एसआइटी के प्रयास से इस मामले में दूसरी गिरफ्तारी 10 अप्रैल को गोरखपुर से ही शैलेंद्र के सहयोगी और इस घटना में शामिल बस्ती जिले के लालगंज थानाक्षेत्र के पीपरपाती निवासी विकास पाल सिंह उर्फ विक्की की हुई। उसने इस घटना में संलिप्तता स्वीकार करते हुए उपेंद्र सिंह को लाइनर के संरक्षक के रूप में चिह्नित किया।
उपेंद्र पर पुलिस का शिकंजा कसा तो उसने चुपके से एक जून को सिवान में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस के रिमांड आवेदन पर अदालत ने पूछताछ की छूट भी दी लेकिन अबतक उससे पूछताछ नहीं हो सकी है।
तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण कामयाबी पुलिस को सोमवार को लखनऊ में सुपारी किलर चवन्नी सिंह की गिरफ्तारी के रूप में मिली। वहीं श्रीकांत भारतीय की हत्या का सूत्रधार बताया जा रहा है। उसके सिवान लाए जाने और स्थानीय पुलिस की पूछताछ में ही पूरे मामले का खुलासा हो सकेगा।
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हत्याकांड : फ्लैशबैक
भाजपा नेता श्रीकात भारतीय सिवान के सांसद ओमप्रकाश यादव के प्रवक्ता थे। पिछले वर्ष 23 नवंबर की रात में एक शादी समारोह से लौटने के दौरान सिवान टाउन थाना क्षेत्र में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद सिवान में कई दिनों तक हंगामा होता रहा था। मुजफ्फरपुर रेंज के आईजी पारसनाथ कौ कैंप करना पड़ा। टाउन थाना के तत्कालीन इंस्पेक्टर सुनील सिंह को निलंबित किए जाने के बाद ही हंगामा शात हुआ। बाद में सुनील सिंह के नेतृत्व में ही विशेष टीम गठित कर इस घटना का पर्दाफाश करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। तब से पुलिस अपराधियों की टोह में लगी हुई थी। जीतनराम मांझी को हटाकर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तो इसके कुछ घंटे के अंदर ही इस चर्चित मामले में पहली गिरफ्तारी की खबर राज्यस्तर की सुर्खी बनी थी। बताया गया है कि संदिग्धों पर नजर के दौरान पुलिस को अपराधियों के यूपी में सक्रिय होने की जानकारी मिली तो विशेष टीम ने उत्तर प्रदेश एसटीएफ की मदद से बदमाशों की नए सिरे से तलाश शुरू की थी। एक-एक कर तीनों अपराधी पकड़ लिए गए और इनके संरक्षक के रूप में चिह्नित उपेंद्र सिंह ने आत्मसमर्पण कर दिया है।