खोजने पर भी नहीं मिल रहे स्टांप पेपर
सिवान । जिला निबंधन कार्यालय में 10 रुपये से लेकर 100 रुपये मूल्य तक के नन ज्यूडिशियल स्टांप पेपर ख
सिवान । जिला निबंधन कार्यालय में 10 रुपये से लेकर 100 रुपये मूल्य तक के नन ज्यूडिशियल स्टांप पेपर खोजने पर भी नहीं मिल रहा है। यह समस्या करीब तीन माह से बनी हुई है। रोजाना विभिन्न कार्यो से स्टांप लेने पहुंचे सैकड़ों लोग स्टांप की किल्लत से मायूस होकर लौटने को विवश हैं। सबसे अधिक परेशानी बैंक लोन, शपथ पत्र व विभिन्न प्रकार के एंग्रीमेंट बनाने वाले लोगों को हो रही है। निबंधन कार्यालय की हालत यह है कि पदाधिकारी व कर्मी न तो उचित जवाब दे पा रहे हैं, न ही इस समस्या से निजात दिला रहे है। स्टांप की किल्लत से शपथ पत्र, एग्रीमेंट, करारनामा आदि का काम अटक रहा है। पासपोर्ट आवेदन पर भी इसका असर पड़ रहा है। छात्रवृत्ति का लाभ लेने वाले छात्रों को दिक्कत हो रही है। बैंक लोन में भी परेशानी हो रही है। बेचैनी में लोग रोजाना रजिस्ट्री कचहरी का चक्कर काट रहे है।
रजिस्ट्री कार्यालय सूत्रों के मुताबिक तीन माह से रजिस्ट्री कचहरी में 5 रुपये, 10 रुपये , 20 रुपये , 50 रुपये व 100 रुपये का स्टांप उपलब्ध ही नहीं है जबकि इस मूल्य वर्ग के स्टांप की जरूरत सर्वाधिक होती है। इधर 10 से 100 रूपये तक के स्टांप की किल्लत से ये सारे कार्य पूरी तरह से प्रभावित है।
मजबूरी में अधिक दाम का लगा रहे स्टांप
जिला निबंधन कार्यालय में स्टांप की किल्लत का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। उन्हें अधिक मूल्य के स्टांप का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। यह जेब पर खर्च बढ़ाने के साथ किसी न किसी रूप में अवैध भी है। परेशानी को यूं समझा जा सकता है। वर्तमान में अगर कोई वाहन पकड़ा गया या फिर उस पर केस दर्ज हो गया तो न्यायालय से रिलीज के आदेश के बाद वाहन मालिक को 100 रुपये के स्टांप पेपर पर एंग्रीमेंट कोर्ट में करना पड़ता है। लेकिन 100 रुपये के स्टांप की किल्लत के चलते गाड़ी मालिक 500 रूपये का स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट कर न्यायालय में दाखिल कर रहा है।
दिलचस्प बात यह है कि रजिस्ट्री कचहरी को छोड़ कर अन्य जगहों पर 10 से लेकर 100 रुपये तक का स्टांप पेपर सुलभ है। चर्चा यह भी है कि ये स्टांप जाली हैं लेकिन जरूरत मंदों को तत्काल राहत मिलने के कारण उनके लिए ये हर तरह से मुफीद हो रहे हैं।
कचहरी में धड़ल्ले से बिक रहा जाली स्टांप
एक तरफ जिला निबंधन कार्यालय में नन जुडिशियल स्टांप का टोटा है वहीं कचहरी परिसर में धड़ल्ले से 10 से 100 रुपये तक के स्टांप के जाली स्टांप पेपर की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। जिन्हें इनके जाली होने की जानकारी है वे इसका इस्तेमाल करने से परहेज करते हैं लेकिन देहात से आए लोग आसानी से जालसाजों के चंगुल में फंस रहे हैं। रोजाना सैकड़ों लोग इसका प्रयोग करते देखे जा रहे है। इसके बाद भी जिम्मेदार प्रशासनिक पदाधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
ससमय आपूर्ति न होना मुख्य कारण
जिला निबंधन कार्यालय में 10 से 100 रुपये तक के स्टांप की आपूर्ति जिला कोषागार से होती है। इसे स्टांप लाईसेंसधारी अपने रजिस्टर में पंजीकृत करने के बाद बिक्री करते हैं। लेकिन फिलहाल आपूर्ति ही नहीं हो रही है। सूत्रों का कहना है कि जरूरत के बावजूद आपूर्ति न होने से जाली स्टांप की बिक्री में तेजी आई है। जदयू के प्रदेश महासचिव राकेश कुमार पांडेय उर्फ कल्लू पांडेय ने इस मुद्दे पर पदाधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया है। उनका आरोप है कि कोषागार कार्यालय द्वारा छोटे स्टांप का उठाव नहीं किए जाने से ही स्टांप की किल्लत हुई है।