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मानस देता चरित्र निर्माण की शिक्षा

जासं, सिवान : सिवान रेलवे जंक्शन परिसर में मानस मंदाकिनी समिति की ओर से आयोजित 33 वें श्रीराम विवाह

By Edited By: Published: Tue, 25 Nov 2014 06:23 PM (IST)Updated: Tue, 25 Nov 2014 06:23 PM (IST)

जासं, सिवान : सिवान रेलवे जंक्शन परिसर में मानस मंदाकिनी समिति की ओर से आयोजित 33 वें श्रीराम विवाह वार्षिकोत्सव के तीसरे दिन बलिया से पधारे संत मानस किंकरजी ने कहा कि मानस हमें चरित्र निर्माण की शिक्षा देता है। जिसने श्रीराम जैसे चरित्र निर्माण की कला सीख ली वह न केवल अपने परिवार व समाज को विकास के मार्ग पर ले जाता है बल्कि राष्ट्र में रामराज्य की स्थापना कर सकता है।

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मंगलवार को उन्होंने प्रवचन करते हुए उन्होंने कहा कि राक्षसी प्रवृति हमें आत्महंता बनाती है। आज भी समाज में दोनों प्रवृतियां कार्यरत हैं परंतु हमें आत्मचिंतन कर अपने में सुधार की जरूरत है जिससे सुख, समुद्धि व शांति मिल सके। वाराणसी से पधारे अच्युतानंद पाठक ने प्रवचन का शुभारंभ लक्ष्मण, सुमित्रा व उर्मिला के भगवान श्रीराम के प्रति पूर्ण समर्पित भाव से किया। उन्होंने कहा कि सुमित्रा जैसी आदर्श मां, उर्मिला जैसी आदर्श पत्‍‌नी व लक्ष्मण जैसा अनुज बनने की प्रेरणा दी। राम वनगमन का एक संक्षिप्त चित्र खींचते हुए कहा कि लक्ष्मण 14 वर्षो के भूख व निंद्रा का त्याग करते हुए अपने अग्रज श्रीराम वनगमन के उद्देश्य में सहयोग किया। इस मौके पर ललनजी मिश्र, पं. इष्टदेव तिवारी, ब्रह्मानंद सिंह, मोहन शर्मा, कौशलेन्द्र प्रताप, प्रो. मनोज कुमार वर्मा, कुशेश्वर नाथ तिवारी, प्रमोद कुमार आदि उपस्थित रहे।


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