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जुर्माना के नाम पर उत्पाद विभाग ऐंठता है मोटी रकम

जासं, सिवान : जिले में उत्पाद विभाग वरीय अधिकारियों के निर्देश पर नहीं बल्कि लाइसेंसी व गैर लाइसेंसी

By Edited By: Published: Sat, 22 Nov 2014 09:28 AM (IST)Updated: Sat, 22 Nov 2014 09:28 AM (IST)
जुर्माना के नाम पर उत्पाद विभाग ऐंठता है मोटी रकम

जासं, सिवान : जिले में उत्पाद विभाग वरीय अधिकारियों के निर्देश पर नहीं बल्कि लाइसेंसी व गैर लाइसेंसी करोबारियों के सह पर चलता है। छापेमारी में पकड़े गए अवैध कारोबारियों से अधीक रकम वसूल विभाग के अधिकारी सरकार द्वारा निर्धारित राशि को ही दर्शाते है। यहीं नहीं कनीय अधिकारी अधीक्षक की बातों को दरकिनार कर देते है। लाइसेंसीधारियों के कहने पर ही खुदरा विक्रेताओं के यहां छापेमारी कर जुर्माना वसूला जाता है।

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बतातें चले कि पूरे जिले में वैध के साथ अवैध रूप से बड़े पैमाने पर चोरी छिपे शराब बेचने धंधा चलता है। जिसमें कनीय अधिकारी से लेकर उत्पाद विभाग के अन्य छोटे कर्मियों

की मिली भगत होती है। सूत्रों की मानें तो उत्पाद विभाग के मिली भगत से ही अवैध कारोबारियों का धंधा चलता है। जिसकी आड़ में अवैध करोबारी बड़े आराम से शराब की बिक्री करते है। इसके एवज में उन्हें एक बंधी बधाई रकम मिलती है। सबसे अहम बात यह है कि अगर विभाग का कोई वरीय अधिकारी इनके विरूद्ध कार्रवाई करने के लिए छापेमारी करने जाता है तो उन्हें पहले इसकी सूचना मिल जाती है और बड़े ही आराम से धंधेबाज फरार हो जाते है। जिन क्षेत्रों में पिछले बार के लाइसेंसधारी रहे कारोबारियों को दोबारा निविदा नहीं मिलता है तो वे उन क्षेत्रों में चोरी छिपे शराब की बिक्री करवाते हैं। इसकी भनक जब वर्तमान लाइसेंसधारी को लगती है तो वह उत्पाद विभाग व थाने के अधिकारियों के सहारे उनके कारोबार को बंद कराने के लिए छापेमारी कराते है। ताकि उनका व्यवसाय और निर्धारित उठाव प्रभावित न हो। वहीं पकड़े गए अवैध कारोबारियों को उत्पाद विभाग में लाया जाता है। तथा जेल भेजने या अधिक बरामदगी दिखाने के नाम पर मोटी रकम वसूल की जाती है और जब्ती सूची पर पकड़े कारोबारियों से हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान ले लिया जाता है। बाद में विभाग के निर्धारित दर के अनुसार जुर्माना भर कर संबंधित बैंकों में जमा किया जाता है। जुर्माना लेते समय पकड़े गए कारोबारियों को पावती रसीद नहीं दी जाती है। यहीं नहीं इस बीच अधीक्षक या अन्य पैरवीदारों की पैरवी को नकारते हुए छापेमारी कराने वाले की बातों को प्राथमिकता दी जाती है। अगर किसी अवैध कारोबारी के परिजन द्वारा अधीक्षक से शिकायत की जाती है तो छापेमारी दल में गए अधिकारी द्वारा बड़े कारोबारी या फिर बहुत अधिक बरामदगी की बात उनसे बताते है मालूम हो कि प्रत्येक सप्ताह जिले के विभिन्न क्षेत्रों में विभाग द्वारा छापेमारी की जाती है। इधर पकड़े गए कारोबारियों का कहना है कि विभाग जुर्माना लेने के बाद उन्हें पावती रसीद नहीं मुहैया कराता है। वहीं उत्पाद विभाग के अधीक्षक का कहना है कि किसी के भी सूचना पर छापेमारी की जा सकती है। वहीं पावती रसीद भी जुर्माना देने वाले कारोबारियों को दी जाती है।


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