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विश्वास की शहादत के गम में नहीं मनी दिवाली

संसू, भगवानपुर हाट (सिवान) : एक तरफ पूरा इलाका दीपावली की खुशियों में व्यस्त था, थाना क्षेत्र के नौआ

By Edited By: Published: Sat, 25 Oct 2014 09:49 AM (IST)Updated: Sat, 25 Oct 2014 09:49 AM (IST)
विश्वास की शहादत के गम में नहीं मनी दिवाली

संसू, भगवानपुर हाट (सिवान) : एक तरफ पूरा इलाका दीपावली की खुशियों में व्यस्त था, थाना क्षेत्र के नौआ टोला गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ था। दीपावली की रात अधिकतर घरों के मुंडेर अंधेरे में डूबे रहे। गांव के सपूत विश्वास कुमार के उग्रवादियों के हाथों शहीद हो जाने के गम में गांव में दीपावली नहीं मनी। न दीये जले, न आतिशबाजी हुई। शहीद के घर से रह-रह कर उठ रही चित्कार पूरे वातावरण को शोकाकुल कर दे रही थी।

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जिस वक्त जवान के शहीद होने की खबर गांव पहुंची उस समय गांव दीपावली की तैयारी में व्यस्त था। लोग दीप जलाने की तैयारी में जुटे हुए थे। लेकिन इस मनहूस खबर ने एक झटके में सबको झकझोर दिया। शहीद की पत्‍‌नी सीमा देवी, माता कांति देवी सहित पूरे परिवार का रो-रो कर बुरा हाल हो गया था। पूरे घटनाक्रम से अनजान विश्वास की पुत्री जयाप्रिया (3) व पुत्र वासू (1) रोये जा रहे थे। परिवार के सदस्य उदय कुमार सिंह के अनुसार पार्थिव शरीर के शनिवार तक गांव पहुंचने की संभावना है।

24 को छुट्टी पर चलने वाला था

शहीद जवान विश्वास 24 अक्टूबर को ही छुट्टी पर घर आने वाला था। उसने छठ पूजा को ले छुट्टी ले रखी थी। त्रिपुरा से 24 अक्टूबर को वह ट्रेन पकड़ता। घर वाले उसकी राह देख रहे थे लेकिन उसके आने से पहले घरवालों को उसकी मौत की सूचना मिली। दीपावली के दिन वह देश की आन-बान व शान के लिए शहीद हो गया।

अब केकर आवे के करब इंतजार

अब केकर करब आवे के इंतजार छठ पूजा के आवे के राह देखत रहनी हई.. हे भगवान इ का हो गइल..। केवल यहीं शब्द और फिर क्रंदन की आवाज..। शहीद जवान की मां व पत्‍‌नी का यही हाल है जिन्हें संभालने में पड़ोस की महिलाएं भी रो जाती हैं। पास में बैठी जवान की पुत्री व पुत्र एकटक सभी को निहारे जा रहे थे। पुत्र वियोग में शहीद की मां का बुरा हाल हो गया है। शुक्रवार को भी दोनों का बुरा हाल था।

आंसू को रोकने का प्रयास कर रहे थे पिता

शहीद जवान विश्वास के पिता जो बीएसएफ के हवलदार पद से सेवानिवृत पह अपनी आंखों के आंसुओं को रोकने का काफी प्रयत्‍‌न कर रहे थे। यहीं नहीं वह दरवाजे पर उमड़े लोगों से बातें करते हुए परिजनों को इस दु:ख की घड़ी में शांत करा रहे थे। परंतु पुत्र की याद आते ही बच्चों की तरह बिलख-बिलख कर रोने लगते। लोगों यह कहते हुए मन को तसल्ली पहुंचा रहे थे कि बीएसएफ का जवान बेटा सीने में गोली खाकर देश की सीमा पर शहीद हुआ है। कुछ देर चुप रहने के बाद बताते कि वह बटालियन 55 में था। एक जवान होने के नाते पुत्र के शहीद होने पर गर्व महसूस कर रहा हूं।


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