शिव ही हैं सृष्टि के आधार
रवि गिरी बताते है कि शिव ही सत्य है और शिव ही सृष्टि के आधार है। शिव का स्मरण मात्र से इंसान को तमाम सुख व शांति मिलती है।
सीतामढ़ी। रवि गिरी बताते है कि शिव ही सत्य है और शिव ही सृष्टि के आधार है। शिव का स्मरण मात्र से इंसान को तमाम सुख व शांति मिलती है। शिव देवों के देव है। शिव ही मोक्ष के द्वार है। वैसे तो हर रोज लोग भगवान शिव की आराधना करते है। लेकिन सावन माह में इनका पूजन, अर्चन व दर्शन का महत्व बढ़ जाता है। सावन में जलाभिषेक करने पर भगवान शिवशंकर प्रसन्न
होते है और भक्तों के हर दुख दर्द हर लेते है। ऐसे में सावन में विशेष रूप से रूद्राभिषेक कर शिव¨लग पर जलाभिष क मनुष्य को सांसारिक सदगुणों को प्राप्त कराते हुए मोक्ष की ओर ले जाता है।
बाबा हरिहर नाथ महादेव : मुख्यालय डुमरा से 15 किमी की दूरी पर कुम्हरा विशनपुर पंचायत के हरिहरपुर
गांव में है हरिहरनाथ महादेव का मंदिर। यहां स्थापित महादेव अपने आप में अलग है। वजह यहां शिव¨लग नहीं है। बल्कि पत्थर की मूर्ति है। जिसमें शिव के साथ पार्वती भी है। हरिहरपुर के महादेव अपने इसी स्वरूप के चलते विख्यात है। कहते है कि इनकी महिमा अपरंपार है। जो कोई भी मन्नत मांगता है भोलेनाथ पूरा करते है। यहीं वजह है कि यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए आस्था व भक्ति का केंद्र है।
मंदिर का इतिहास : हरिहरपुर महादेव मंदिर में स्थापित मूर्ति का इतिहास काफी पुराना है। बुजुर्गो के अनुसार यह इलाका राजा जनक के मिथिला राज्य के अधीन था। त्रेता युग में अकाल के दौरान पोखर की खुदाई में यहां अति प्राचीन श्याम रंग की पत्थर की तीन फीट उंची मूर्ति मिली थी। जिसमें शिव - पार्वती एक साथ थे। उस दौरान मूर्ति को ऋषियों ने पीपल वृक्ष के निकट रख दिया। इसी बीच मानिक चौक के 32 कहारों द्वारा मूर्ति
की चोरी कर ली गई। कुछ ही दिन बाद मानिक चौक में हैजा फैल गया। संतों को स्वप्न में बस्ती के नष्ट होने की बात कही गई, वहीं मूर्ति को उसी स्थान पर रखने का निर्देश मिला। इसके बाद मूर्ति वापिस कर दी गई। तभी से इस मूर्ति की पूजा अर्चना जारी है। वर्ष 1997 में ग्रामीणों द्वारा मंदिर का निर्माण कर मूर्ति की स्थापना की गई।
तैयारी : श्रावण मास को लेकर मंदिर में तैयारी पूरी कर ली गई है। जलाभिषेक के लिए यहां श्रद्धालुओं की भ ड़ उमड़ रह ं है। इसके मद्देनजर पूरी व्यवस्था की गई है। स्थानीय निवासी प्रदीप झा व दिलीप कुमार बताते है कि यह स्थान आस्था का केंद्र है। यहां महा शिवरात्रि के अलावा रामनवमी व विवाह पंचमी में भी वृहद स्तर पर मेला लगता है।
कहते है पुजारी : मंदिर के पुजारी महेंद्र गिरी बताते है कि यहां भोलेनाथ बाबा का पाषाण का मूर्ति है। जिसमें माता पार्वती भी साथ है। यहां मत्था टेकने मात्र से हर मन्नत पूरी होती है।