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संसाधनों की कमी से आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत बदतर

सीतामढी। आंगनबाड़ी केंद्रों की व्यवस्था में सुधार लाने के विभागीय निर्देश के बावजूद भी संसाधनों की कम

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Jun 2017 12:50 AM (IST)Updated: Thu, 29 Jun 2017 02:25 AM (IST)
संसाधनों की कमी से आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत बदतर
संसाधनों की कमी से आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत बदतर

सीतामढी। आंगनबाड़ी केंद्रों की व्यवस्था में सुधार लाने के विभागीय निर्देश के बावजूद भी संसाधनों की कमी एवं सिस्टम की सुस्ती से प्रखंड के कई आंगनबाड़ी केंद्रों की व्यवस्था में सुधार होने की बजाय बदतर बनी है। दैनिक जागरण के ऑन द स्पॉट अभियान के तहत हमने बुधवार को प्रखंड के बनौल गांव में आंगनबाड़ी केंद्रों की पड़ताल की। इस क्रम में बुधवार को दिन के दस बजे प्राथमिक विद्यालय बनौल उर्दू स्थित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 53 की पड़ताल के लिए पहुंचे। तीन बच्चे बरामदे में बगैर स्लेट एवं पेंसिल के खेल रहे थे। जबकि आंगनबाड़ी सेविका बरामदे पर बैठी मिली। कैमरा निकालने पर सेविका संभल कर बरामदे में खड़ी हो गई। जबकि मौजूद तीन बच्चे को भी संभाल कर बरामदे में बैठाया। दस बजे तक बच्चों की हाजिरी नहीं बनायी गई थी। पूछे जाने पर सेविका तारा देवी ने बताई कि बच्चों को विगत पांच माह से पोषाहार नहीं मिलता है। इसके कारण बच्चों को खाना नहीं मिलता है एवं बच्चे नहीं रहते हैं। जिसके कारण हाजिरी अवकाश होने के समय ही बनाते हैं। आंगनबाड़ी केंद्र में कुल 40 बच्चे नामांकित हैं। जिसमें मात्र तीन बच्चे ही मौजूद थे। आंगनबाड़ी केंद्र के पास अपना भवन नहीं होने के कारण विद्यालय के ही एक कमरा में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित की जाती है। लेकिन, बुधवार को गर्मी की छुट्टी समाप्त होने के बाद विद्यालय खुलना था। लेकिन विद्यालय बंद रहने के कारण बरामदे पर ही सेविका तीन बच्चों के साथ बैठी थी। पूछे जाने पर बोली, विद्यालय बंद है। इसके कारण बरामदे के फर्श पर ही केंद्र संचालित करना पड़ा है।

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ड्रेस कोड का पालन नहीं :

केंद्र पर भले ही आंगनबाड़ी सेविका किसी दूसरे दिन ड्रेस में आती रही हो लेकिन बुधवार को न तो आंगनबाड़ी सेविका ड्रेस में थी और न ही बच्चे ड्रेस में थे। बताया गया कि डेढ़ वर्ष पूर्व बच्चों को पोशाक की राशि मिली थी, उसके बाद अबतक पोशाक की राशि नहीं मिल पाई है।

सहायिका थी अनुपस्थित : आंगनबाड़ी केंद्र पर सहायिका मीना देवी अनुपस्थित थी। बताया गया कि सहायिका महीना में दस दिन ही केंद्र पर आती है। विद्यालय के एक कमरे में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र पर बोर्ड नहीं लगे होने से यह पता नहीं चल पाता है कि यहां आंगनबाड़ी केंद्र भी है। बोर्ड के बारे में पूछे जाने पर सेविका ने बताया कि बोर्ड है। लेकिन विद्यालय में बंद है। विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केंद्र तक पहुंच पथ का अभाव है। आंगनबाड़ी सेविका तारा देवी कहती है कि सुबह 7 बजे से लेकर 11 बजे तक केंद्र संचालित किया जाता है। वह नियमित रूप से केंद्र का संचालन करती है। विगत पांच माह से पोषाहार बंद है। इसके कारण बच्चे नहीं आते हैं। इससे पूर्व मध्य विद्यालय बनौल कन्या स्थित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 48 दिन के 9:45 बजे बंद मिला। यहां मौजूद विद्यालय के कुछ बच्चों ने बताया कि नहीं खुला है आंगनबाड़ी केंद्र। यहां बाहर में आंगनबाड़ी केंद्र का बोर्ड भी नहीं टंगा था। जबकि केंद्र से कुछ ही दूरी पर आंगनबाड़ी सेविका का घर भी है।


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