जर्जर पुल पर खतरे में ¨जदगी
सीतामढ़ी। शहर के अंदर एवं जिले के विभिन्न भागों से जोड़ने वाली सड़क पुलों की स्थिति जर्जर बनी हुई है ज
सीतामढ़ी। शहर के अंदर एवं जिले के विभिन्न भागों से जोड़ने वाली सड़क पुलों की स्थिति जर्जर बनी हुई है जिससे वाहनों के आवागमन में परेशानी तो रहती ही है। इधर से गुजरने वाले यात्रियों का जीवन भी खतरे में रहता है। बावजूद प्रशासनिक उदासीनता और विभागीय लापरवाही के कारण इन पुलों की स्थिति जस की तस बनी हुई है। हालांकि इसके जीर्णोद्धार के लिए कई बार स्थानीय निवासियों ने धरना प्रदर्शन तक किया मगर पदाधिकारियों द्वारा महज आश्वासन देकर ही लोगों को शांत कर दिया जाता रहा है। जबकि इन जर्जर पुलों पर हुई दुर्घटनाओं में कई लोगों की मौत और कई जख्मी भी हो चुके हैं मगर अब तक कोई प्रशासनिक पहल नहीं हो सकी है।
जर्जर पुलों से गुजरते भारी वाहन
शहर के अंदर लाइफ लाइन कही जाने वाली सीतामढ़ी-डुमरा पथ पर आइटीआइ के समीप का पुल कई वर्षों से जर्जर है। दोनों ओर से सड़कें चौड़ी हो चुकी हैं जबकि पुल की चौड़ाई कम है, रे¨लग टूटी है। करीब चार दशक पहले इस पुल का निर्माण हुआ था। इसके बाद करीब एक दशक पहले इसकी मरम्मत हुई। जो अब धाराशायी होने के कगार पर है। हालांकि इस पुल के बिना सीतामढ़ी-डुमरा का सीधा संपर्क ही समाप्त हो जाएगा। इस पुल से प्रति दिन छोटे वाहनों से लेकर बड़ी-बड़ी गाड़ियां भी गुजरती हैं। मगर जर्जर पुल की स्थिति के प्रति प्रशासन पूर्णतया उदासीन है। लगभग यहीं स्थिति मुजफ्फरपुर को शहर से जोड़ने वाली सड़क के लगमा पुल की है। जो करीब तीन दशक पहले बनाई गई थी। एक दशक पहले इसकी मरम्मत भी हुई मगर वाहन के परिचालन में बढ़ोतरी के कारण धाराशायी होने के कगार पर है। शहर को सोनबरसा, परिहार, भिठामोड़ से जोड़ने वाली सड़क के मोहनपुर एवं बरियारपुर के पुलों की भी स्थिति दयनीय है। जो सदैव ही खतरे की घंटी बजा रही है। सभी पुल दशकों पहले बने थे। इधर के वर्षों में सड़कें तो चौड़ी कर दी गई। भारी वाहनों के आवागमन में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई। मगर पुलों की अनदेखी कर दी गई।
जानलेवा बना है पुल, वहीं प्रशासन उदासीन
अमित सहाय : शहर को जोड़ने वाली एवं शहर की करीब आधा दर्जन पुल जर्जर और जानलेवा बनी हुई है। इन पुलों की चौड़ाई भी सड़क की आधी है वहीं दशकों पूर्व बने इस पुल से भारी वाहन भी गुजरते हैं जिसके कारण सदैव ही खतरा बना रहता है।
राजेश कुमार : इन जर्जर पुलों के कारण कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी है। स्थानीय लोगों द्वारा प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से इसके जीर्णोद्धार के लिए आग्रह भी किया गया। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पुलों को लेकर धरना, प्रदर्शन एवं अनशन तक किया।
एसएन झा : शहर के चारों ओर एनएच का निर्माण हो गया है। जिसमें आवश्यकता के अनुसार पुल भी बनाए गए हैं मगर इन सड़कों से शहर में आने वाली कने¨क्टग सड़क और पुलों की स्थिति दशकों पुरानी है। जो एनएच से वाहनों को शहर में लाती है। भारी वाहनों और ट्रैफिक के कारण स्थिति नाजुक है।
धनंजय कुमार : स्थानीय निवासी कई बार एनएच से शहर जोड़ने वाली सड़कों और पुलों के जीर्णोद्धार के लिए आंदोलन कर चुके हैं। मगर प्रशासनिक और विभागीय उदासीनता के कारण पुलों की स्थिति जानलेवा बन चुकी है। घटना पर केवल डंडा हिलाने और आश्वासन देने के लिए ही प्रशासन रह गई है।