शिक्षा व रोजगार के बगैर स्मार्ट सिटी की परिकल्पना बेमानी
सीतामढ़ी। पीएम मोदी की स्मार्ट सिटी की परिकल्पना पूरे देश में छा गई है। स्मार्ट सिटी की चर्चा एक ओर
सीतामढ़ी। पीएम मोदी की स्मार्ट सिटी की परिकल्पना पूरे देश में छा गई है। स्मार्ट सिटी की चर्चा एक ओर विदेशों में हो रही है। वहीं दूसरी ओर सीतामढ़ी जैसे छोटे शहर के लोग भी अपने शहर को स्मार्ट सिटी बनते देखना चाहते है। सीतामढ़ी स्मार्ट सिटी नहीं बन पाए, लेकिन कम से कम इतना जरूर होना चाहिए की हम स्मार्ट सिटी के करीब हो। इसको लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। लोग स्मार्ट सिटी के नफा नुकसान को भी देख रहे है। वैसे सरकार ने महानगरीय सुविधा उपलब्ध करा हाईटेक व्यवस्था के तहत छोटे शहरों को स्मार्ट सिटी में विकसित करने की परिकल्पना तैयार की है। इसके तहत साल 2030 तक 40 फीसद शहरी आबादी के योगदान को 75 फीसद जीडीपी में शामिल करना है। साथ ही शहरी संस्कृति व समाजिक रहन सहन का स्तर बढ़ा तस्वीर में बदलाव लाया जाना है। लेकिन सीतामढ़ी जैसे छोटे शहर के स्मार्ट सिटी बनने की राह आसान नहीं है। मूलभूत सुविधाओं से वंचित सीतामढ़ी जैसे शहर में सड़क, बिजली, पानी, नाला, जल निकासी, शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार जैसी बाधाएं बरकरार है। यहां महज एक नाला के निर्माण की मांग में दशकों बीत जाते है। शहर का 40 फीसद आबादी जल जमाव की गिरफ्त में है और चारों ओर गंदगी का साम्राज्य है। स्कूलों में शिक्षक नहीं है और कालेज में संसाधन का अभाव बरकरार है। सरकारी गैर सरकारी कार्यालय में नौकरी व व्यवसाय के अलावा आजीविका का कोई दूसरा आधार नहीं है।
शिक्षा व रोजगार के जरिए बदल सकती है तस्वीर : सीतामढ़ी शहर में अगर कुछ है तो वह है माता जानकी की जन्मस्थली जानकी स्थान व पुनौरा धाम। माता जानकी की जन्म स्थली होने के कारण ही सीतामढ़ी का नाम देश स्तर पर ख्यात है। इसके अलावा सीतामढ़ी शहर में ऐसा कुछ नहीं है जो इसकी पहचान बन सके है। इस इलाके में न शिक्षा की माकूल व्यवस्था और नहीं रोजगार की ही। पिछले तीन - चार दशक में सीतामढ़ी के विकास में कोई नया आयाम नहीं जुड़ा है। ऐसे में सीतामढ़ी शहर स्मार्ट सिटी की परिकल्पना से कोसों दूर है। हालांकि शिक्षा व रोजगार के जरिए स्मार्ट सिटी की परिकल्पना तक पहुंचा जा सकता है। सीतामढ़ी में न केवल प्राथमिक शिक्षा बल्कि उच्च शिक्षा का भी अभाव है। प्राथमिक स्कूल शिक्षक व संसाधन विहीन है। माध्यमिक शिक्षा की तस्वीर इससे उलट नहीं है। डिग्री कालेजों में बगैर शिक्षक के आनर्स की पढ़ाई की मजबूरी है। स्नातकोत्तर की शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। जिले में व्यवसायिक शिक्षा का भी माहौल नहीं है। व्यवस्था के अभाव में यहां के बेरोजगार अन्यत्र जिलों में शिक्षा प्राप्त करने को मजबूर है। बालिका शिक्षा का बुरा हाल है। जिले में कहीं भी प्रबंधन शिक्षा की व्यवस्था नहीं है। जाहिर है कि जब तक जिले में शिक्षा की माकूल व्यवस्था नहीं होगी तब तक नई सोंच विकसित नहीं होगी और बगैर नए सोंच स्मार्ट सिटी का सपना बेमानी है। ऐसे में सबसे पहले शिक्षा की तस्वीर बदलनी होगी। इसके लिए डिग्री कालेजों को संसाधन मुहैया कराने के साथ इलाके में मेडिकल कालेज, इंजीनिय¨रग कालेज, पालिटेक्निक कालेज, प्रबंधन संस्थान व शोध संस्थानों की स्थापना की जरूरत बनती है। दूसरी ओर बेरोजगारी बड़ा सवाल है। बेरोजगारी को दूर करने के लिए इलाके में रोजगार के अवसर बनाने होंगे। इसके लिए सबसे पहले उद्योग लगाने होंगे। ऐसी कुछ व्यवस्था करनी होगी जिससे बहु राष्ट्रीय कंपनियां इलाके में दस्तक दे, उद्योग लगाए और कार्यालय खोले। बीमा व बैंकिंग क्षेत्र का इलाके में विकास हो।
लोगों की बात : प्रो. प्रेमचंद्र झा बताते है कि स्मार्ट सिटी छोटे शहरों के लोगों को स्मार्ट बनाने की परिकल्पना है। लेकिन सीतामढ़ी जैसे शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की राह आसान नहीं है। शिक्षा व रोजगार के जरिए स्मार्ट सिटी के करीब पहुंचा जा सकता है।
प्रो. राकेश कुमार बताते है कि जब तक इलाके में शिक्षा व रोजगार की व्यवस्था नहीं की जाती तब तक सोंच में बदलाव नहीं आएगा और जब सोंच बदलेगी तो हम खुद ब खुद अपने शहर को स्मार्ट बना ही लेंगे। नीरज कुमार सिंह बताते है कि स्मार्ट सिटी के तहत उद्योग लगेंगे तो निश्चित रूप से बेरोजगारी थमेगी। सीतामढ़ी में उद्योग की स्थापना व शिक्षा का माहौल बनाने की जरूरत है। संजीव कुमार बताते है कि स्मार्ट सिटी के लिए सबसे पहले शहर में उच्च व तकनीकी शिक्षा संस्थान के अलावा प्रबंधन व शोध संस्थान की स्थापना की जरूरत है। राकेश कुमार बताते है कि इससे शहरों की तस्वीर बदलेगी। रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी। लेकिन सीतामढ़ी जैसे शहर को स्मार्ट सिटी बनाने में लंबा वक्त लगेगा। अजय कुमार झा बताते है कि सीतामढ़ी जैसे एतिहासिक शहर को ही स्मार्ट सिटी में विकसित करने की जरूरत है। इससे इलाके का विकास होगा। अणु वत्स व मोना कुमारी बताती है कि सीतामढ़ी में स्मार्ट सिटी की राह में काफी बाधाएं है।
बोले यूथ : आकाशदीप बताती है कि स्मार्ट सिटी लोगों को स्मार्ट बनाने की पहल है। इसके तहत छोटे - छोटे शहरों में भी महानगरीय सुविधा उपलब्ध होगी। सीतामढ़ी जैसे शहर की तस्वीर बदलने के लिए इसे भी स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल किया जाना चाहिए। मणीकांत झा बताते है कि स्मार्ट सिटी से शहरी संस्कृति, समाजिक रहन सहन व आम आदमी के जीवन स्तर में बदलाव आएगा। लेकिन पहली जरूरत शिक्षा का माहौल बनाने की है। बताते है कि शिक्षा व रोजगार के बगैर स्मार्ट सिटी की परिकल्पना आसान नहीं है।