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राम नाम का जप ही सुगम साधन: संत

जासं, सीतामढ़ी : ब्रह्मालीन तपस्वी नारायण दास जी महाराज बगही धाम की पावन स्मृति में आगामी 2 मार्च से

By Edited By: Published: Fri, 27 Feb 2015 01:10 AM (IST)Updated: Fri, 27 Feb 2015 01:10 AM (IST)
राम नाम का जप ही सुगम साधन: संत

जासं, सीतामढ़ी : ब्रह्मालीन तपस्वी नारायण दास जी महाराज बगही धाम की पावन स्मृति में आगामी 2 मार्च से मुख्यालय डुमरा स्थित हवाई अड्डा मैदान में दस दिवसीय श्री सीताराम नाम जप महायज्ञ शुरू हो रहा है। जिसमें सीतामढ़ी, शिवहर, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, मोतिहारी, बेतिया, दिल्ली, यूपी, जम्मू कश्मीर, गुजरात, राजस्थान, मुम्बई के अलावा नेपाल के कोने कोने से आए संतों व भक्तों को यज्ञ में अद्वितीय संगम दिखेगा। उक्त बातें संत श्री रामाज्ञा दास जी महाराज व शुकदेव दास जी महाराज ने संयुक्त रुप से संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कही। उन्होंने कहा कि महायज्ञ का सीधा प्रसारण संस्कार चैनल पर किया जाएगा। 28 फरवरी को ढाई हजार जापक व एक हजार कार्यकत्र्ता यज्ञ स्थल पर पहुंच रहे है। भक्तों व संतों के लिए 250 राउटी, 90 यूपी टेंट, 1500 स्वीस व वाटर प्रुफ काटेज, 100 शौचालय, चापाकल, भंडार कक्ष, आदि तैयार किया गया है। महायज्ञ में करीब ढाई करोड़ खर्च होने की संभावना है। यज्ञ को लेकर 1 मार्च को विशाल शोभा यात्रा निकाली जाएगी। यज्ञ मंडल में बने 108 कुंजों में अनवरत कीर्तन होता रहेगा। प्रतिदिन हवन, संगीतमय रामकथा व अध्यात्मिक प्रवचन होगा। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन 2 से 3 अरब सीताराम जप किए जाएंगे, जो आलौकिक व अध्यात्मिक उपलब्धि होगी। उन्होंने कहा कि बगही सरकार ने महात्मा का जो स्वरुप रखा है वह अद्वितीय है। रामचंद्र दास जी, परमहंस, हरि आचार्य, जगत गुरु श्री ज्ञान दास, शंकराचार्य, सरस्वती जी आदि संतों के बीच बगही सरकार ने जिस तरह भगवान के नाम की प्रधानता को रखा। उन सभी संतों ने स्वीकार किया वह आज की विधि व्यवस्था में सर्वोत्तम है। बगही सरकार ने अवध के राम व ब्रज के श्याम को समान रुप से माना है। बगही सरकार ने 22 वर्षो तक जल नही लिया और सिर्फ गौ दूध पीकर रहे। विश्व शांति के लिए बगही सरकार के संदेशों को जन जन तक पहुंचाने की बात कही। उन्होंने कहा कि मानव चौरासी लाख जीवों में सर्वोत्तम है, जिसका लक्ष्य भगवत प्राप्ति है। भगवान के नाम का जप करना ही आज के भौतिक युग में सुगम एवं सरल साधन है। मौके पर राम उदार दास, बैजूनंदन दास, राम नारायण दास आदि संत थे।


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