दानी हैं बगही के धनेश्वर महादेव
सावन विशेष के लिए : 27 एसएमटी 1
- आकाश से धरती पर गिरे थे महादेव
- 1934 के भूकंप के दौरान हुई थी महादेव की उत्पति
- गोविंद साह ने की थी श्मशान में शिवलिंग की स्थापना
-1948 में पहुंचे तपस्वी नारायण दास ने बनवाया विशाल मंदिर
- हर किसी की मन्नत पूरी करते हैं बाबा धनेश्वर नाथ महादेव
कृष्णा/ शेखर, सीतामढ़ी
सीतामढ़ी शहर से सटे बाबा तपस्वी नारायण दास की तपस्थली बगही के धनेश्वर महादेव की महिमा अपरंपार है। धनेश्वर महादेव न केवल लोगों के रोम-रोम में बसे हैं बल्कि इलाके की समृद्धि के भी आधार हैं। शहर से 8 किमी की दूरी पर बसे बगही के धनेश्वर महादेव से जुड़ी आस्था सदियों पुरानी है। कहते हैं कि धनेश्वर महादेव बड़े ही दयालु है। यहां मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है। यही वजह है कि प्रति रविवार के अलावा विवाह पंचमी, रामनवमी व बसंत पंचमी को यहां जलाभिषेक को भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
क्या है इतिहास : बाबा धनेश्वर नाथ महादेव की उत्पत्ति आकाश से हुई थी। 1934 में इलाके में भीषण भूकंप आया था। इसी दौरान आकाश से धरती पर शिवलिंग गिरा। रंजीतपुर गांव के गोविंद साह ने शिवलिंग को श्मशान भूमि में स्थापित किया। वहीं छोटा सा मंदिर बनाया। साथ ही यहां भोलेनाथ की पूजा-अर्चना शुरू हो गई। श्मशान भूमि में होने की वजह से दिन में ही यहां महादेव की पूजा होती थी। 1948 में तपस्वी नारायण दास महादेव की प्रेरणा से घुमते-घुमते यहां पहुंचे और बाबा धनेश्वर नाथ महादेव की साधना में लीन हो गए। बाबा ने यहां दर्जनों यज्ञ कराए। इसी दौरान 1960 में बाबा ने यहां यज्ञ कराया। साथ ही बाबा धनेश्वर नाथ महादेव का मंदिर व मठ बनवाया। तपस्वी नारायण दास ने यहां 108 यज्ञ मंडप बनाकर विशाल यज्ञ कराया। 2000 में बाबा ने शरीर का त्याग किया। इसके बाद 20 फरवरी 2012 को बाबा के शिष्यों ने 108 यज्ञ मंडप का निर्माण कर विशाल यज्ञ कराया। साथ ही भोलेनाथ के लिए विशाल मंदिर का निर्माण कराकर नए मंदिर में बाबा धनेश्वर नाथ महादेव को स्थापित किया। दस एकड़ में फैला मंदिर आस्था का प्रतीक है।
पूजा विधान व चढ़ावा: बाबा धनेश्वर नाथ महादेव की पूजा का विधान अत्यंत सरल है। भांग, कनैल के फुल, दूध, धतूरा, जल व अनाज बाबा का चढ़ावा है।
कैसे जाएं: सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन से तकरीबन 8 किमी की दूरी पर डुमरा प्रखंड के रंजीतपुर से सटे बगही गांव में अवस्थित है बाबा धनेश्वर नाथ महादेव का मंदिर। यहां जाने के लिए बस सेवा है।
कहां रुके : बहगी धाम में रुकने की व्यवस्था नहीं है। यहां धर्मशाला का निर्माण जारी है। सीतामढ़ी शहर में होटल है।