अद्भूत हैं बथनाहा के महाकालेश्वर महादेव
सावन विशेष के लिए: 26 एसएमटी 1
- हर किसी की मन्नत पूरी करते हैं महाकालेश्वर
- स्वप्न देकर निकले थे महादेव
- 2009 में भगवानपुर गांव में शिवलिंग प्रकट होने पर बना मंदिर
- सावन माह में उमड़ती है यहां भीड़
अभय कुमार चौधरी, (बथनाहा), सीतामढ़ी
बथनाहा प्रखंड का भगवानपुर गांव। यहां है बाबा महाकालेश्वर का मंदिर। बथनाहा प्रखंड मुख्यालय से 5 किमी की दूरी पर बसे भगवानपुर गांव स्थित शिवलिंग वैसे तो अन्य शिवलिंगों की तरह दशकों पुराना नहीं है, लेकिन इससे जुड़ी आस्था कम नहीं है। कहते हैं कि महाकालेश्वर महादेव बड़े ही दयालु हैं। यहां मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है। यही वजह है कि प्रति रविवार को यहां जलाभिषेक को भक्तों की भीड़ उमड़ती है। सावन में खासतौर पर लोग यहा आते हैं।
क्या है इतिहास : बथनाहा प्रखंड के भगवानपुर गांव से दक्षिण सरेह में स्थापित हैं महाकालेश्वर मंदिर। ग्रामीण इंद्र देव मिश्र को रात में बाबा भोलेनाथ ने स्वप्न दिया और खुद के बारे में जानकारी दी। मिश्र स्वप्न के आधार पर सरेह पहुंचे, जहां शिवलिंग दिखा। इसके बाद शिवलिंग की खुदाई की गई। खबर जंगल की आग की तरह फैल गई। हजारों की संख्या में लोग भगवानपुर पहुंचे और भोलेनाथ की पूजा-अर्चना में लीन हो गए। बाद में मिश्र ने इस स्थान पर मंदिर का निर्माण करा यज्ञ कराया। ग्रामीण बताते हैं कि मंदिर निर्माण के साथ ही मिश्र की किस्मत खुल गई। महाकालेश्वर शिवलिंग अति प्राचीन व अद्भूत है। यह स्थान भारत-नेपाल के लोगों का श्रद्धा का केंद्र बन गया है।
पूजा का विधान व चढ़ावा: यहां भोलेनाथ की पुजा का विधान अत्यंत सरल है। भांग, कनैल के फुल, दूध, धतूरा, जल व अनाज बाबा का चढ़ावा है। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भोलेनाथ की पूजा की जाती है।
कैसे जाएं: सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन से तकरीबन 20 किमी व बथनाहा प्रखंड मुख्यालय से 5 किमी की दूरी पर बथनाहा प्रखंड के भगवानपुर गांव में अवस्थित है बाबा महाकालेश्वर महादेव का मंदिर। यहां जाने के लिए बस सेवा है।
कहां रुके : भगवानपुर में रुकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। सीतामढ़ी शहर में होटल है। जहां रात्रि विश्राम कर सुबह भगवानपुर जाया जा सकता है।