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प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत, हंगामा

शेखपुरा। शुक्रवार की देर रात शेखपुरा सदर अस्पताल में प्रसव के दौरान जच्चा तथा बच्चा की मौत

By Edited By: Published: Sat, 30 Apr 2016 05:14 PM (IST)Updated: Sat, 30 Apr 2016 05:14 PM (IST)
प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत, हंगामा

शेखपुरा। शुक्रवार की देर रात शेखपुरा सदर अस्पताल में प्रसव के दौरान जच्चा तथा बच्चा की मौत हो गई। इस घटना को लेकर मृतका के परिजनों ने सदर अस्पताल में जमकर हंगामा किया। परिजनों के इस हंगामे से सदर अस्पताल में आधी रात में घंटों अफरातफरी मची रही। मृतका की पहचान जिला के घाटकोसुम्भा ब्लाक के लक्ष्मीपुर गांव के निवासी रुदल पासवान की पत्नी कुंती देवी के रूप में की गई है। बाद में अस्पताल प्रशासन ने मृत जच्चा-बच्चा की लाश को परिजनों को सौंपकर घर भेजा दिया। इस बाबत मृतक के परिजनों ने अस्पताल में उचित इलाज नहीं करने का आरोप लगाया है, तथा बताया कि मौत के पहले कुंती देवी इलाज के अभाव में घंटों तड़पती रही। अंतत: रात एक बजे के लगभग कुंती की मौत हो गई। इधर सिविल सर्जन डा. विजय कुमार सिन्हा ने बताया उन्हें इस बात की किसी ने सूचना नहीं दी है। मीडिया की सूचना के बाद सिविल सर्जन ने बताया कि इसका तथ्य पता किया जा रहा है। इधर शुक्रवार की रात्रि ड्यूटी में तैनात चिकित्सक डा. विनय कुमार ने बताया कि रात आठ बजे जब उन्होंने अपनी ड्यूटी संभाली तो वह महिला कुंती देवी सदर अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती थी। कुमार ने बताया कि इमरजेंसी में भर्ती होने के पहले प्रसव के दौरान कुंती देवी के बच्चे की मौत हो चुकी थी। प्रसव के दौरान अधिक रक्तश्राव की वजह से कुंती को गंभीर अवस्था में इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था। डा. कुमार ने बताया कि यह महिला गर्भावस्था के दौरान होने वाली एक खास तरह की बीमारी इक्लेशिया से पीड़ित थी। इसी बीमारी की वजह से कुछ साल पहले भी इस महिला का पहला बच्चा भी प्रसव के दौरान मर चुका था।

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क्या है इक्लेशिया बीमारी

डा. विनय कुमार बताते हैं कि यह बीमारी महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान होती है। यह बीमारी महिला के गर्भ धारण करने के बारह सप्ताह के आस-पास अपना प्रभाव दिखाता है। इस बीमारी की वजह से गर्भवती महिला को बराबर फिट लगने (अचानक बेहोश) लगने की शिकायत होती है। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के साथ-साथ गर्भवती महिला की जान को भी खतरा रहता है। इससे बचने के लिए गर्भवती महिला को लगातार डाक्टर की निगरानी में रहना चाहिए। मगर कुंती किसी भी डाक्टर की निगरानी में पहले से नहीं थी।


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