दिव्यांगता को बुंदेल दे रहा चुनौती
¨जदगी को बोझ न बनने दो यारों हर सितम को हंसते हुए ¨जदगी जी लो यारों, इस पंक्ति को यहां हर रोज चरितार्थ कर रहा है प्रखंड क्षेत्र के ¨सगाही गांव निवासी दिव्यांग बुंदल पटेल।
शिवहर। ¨जदगी को बोझ न बनने दो यारों हर सितम को हंसते हुए ¨जदगी जी लो यारों, इस पंक्ति को यहां हर रोज चरितार्थ कर रहा है प्रखंड क्षेत्र के ¨सगाही गांव निवासी दिव्यांग बुंदल पटेल। जो अपने दोनों पैर से दिव्यांग होने के बावजूद अपने बुलंद हौसले के बूते एसएच 54 के किनारे अपने गांव के पास एक छोटे से चाय नास्ता के होटल के बूते अपने पूरे परिवार का भरण पोषण करते हुए दिनभर हंसते गाते हुए अपनी ¨जदगी को जी रहा है। इसने अपने जीवन में दिव्यांग नामक कमजोरी को भी हर रोज चुनौती दे रहा है।
- पोलियो के कहर ने दोनों पांव छिने
जानकारी के अनुसार बुंदेल ने अपने जन्म के दस साल बाद हीं पोलियो की कहर से दोनों पैर गंवा दिया। उसके माता-पिता ने अपनी सारी पूंजी उसके इलाज पर खर्च कर दिए। बावजूद उसके पैर ठीक नहीं हो सके। बाद में समय के साथ बुंदेल ने समझौता एवं अपनी दिव्यांगता को चुनौती देते हुए गांव के ही एसएच 54 के किनारे एक होटल खोल दी। नेक व बुलंद इरादे के आगे समय भी नतमस्तक हुआ। फिर कया था उसके दुकान पर ग्राहकों की भीड़ उमड़ने लगी। चाय के बाद खाने के समान भी बुंदेल बनाने लगा। जिसकी लोगों में जबरदस्त मांग बढ़ गई। बाद के दिनों में उसकी शादी हुई और उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति भी हुई। इधर, बुंदेल अपने परिवार का सारा खर्च इसी दूकान से चल रहा है।
-- पूर्व जिलाधिकारी ने की थी मदद
बुंदेल बताता है कि कई साल पूर्व तत्कालीन जिलाधिकारी सुरेश प्रसाद ¨सह की नजर इस रास्ते से गुजरने के दौरान उसके उपर पड़ी। जिलाधिकारी उसके जजबे को देख अपने आप को नहीं रोक पाए। जिसके बाद बकायदे एक दिन में ही उसे एक ट्राई साइकिल उपलब्ध कराई। साथ हीं उसके पेंशन की स्वीकृति प्रदान कर दी। इतना नही पास के बैंक आफ बड़ौदा अंबा काला शाखा से दुकान संचालन के लिए दस हजार रुपये का ऋण राशि भी दिला दिया। जिसके बाद आज बुंदेल का बैंक में अपनी एक अलग साख बनी हुई है। जहां ऋण चुकता कर फिर और ऋण भी लेकर अपने व्यवसाय को दिनों दिन बढ़ा रहा है।