विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला कल से, पशुओं के आगमन से बाजार गुलजार
विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेले में पशुओं के आगमन से बाजार गुलजार होने लगा हैं। देवोत्थान एकादशी की पूर्व संध्या पर घोड़ा, बैल एवं राजस्थान से बिक्री के लिए उन्नत नस्ल की बकरियां पहुंची हैं। घोड़ा बाजार में इस वर्ष बड़ी तादाद में घोड़े आए हैं।
सारण। विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेले में पशुओं के आगमन से बाजार गुलजार होने लगा हैं। देवोत्थान एकादशी की पूर्व संध्या पर घोड़ा, बैल एवं राजस्थान से बिक्री के लिए उन्नत नस्ल की बकरियां पहुंची हैं। घोड़ा बाजार में इस वर्ष बड़ी तादाद में घोड़े आए हैं। राजस्थान के अलवर व अन्य जिलों से भी बड़ी संख्या में प्रतिवर्ष दुधारू बकरियों को बिक्री के लिए लाया जाता है।
मुख्य जनसंपर्क पंडाल तैयार
सोमवार को मेले का उद्घाटन होना तय है। इस वर्ष एक माह के बजाय मेले की सरकारी अवधि 32 दिनों की होगी। शनिवार की शाम जिलाधिकारी दीपक आनंद तथा एसपी सत्यवीर ङ्क्षसह ने भी मेले की तैयारियों का जायजा लिया। मेले की हृदयस्थली माने जाने वाले नक्खास को आकर्षक लुक दिया जा रहा है।
इस वर्ष सूचना एवं जन संपर्क विभाग का मुख्य पंडाल को भव्य हैंगर के जरिए निर्मित किया गया है। लगभग दो सौ फीट लंबे और सौ फीट चौड़े इस पंडाल में सारे सरकारी कार्यक्रम संपन्न किए जाते हैं। इस मेले का उद्घाटन भी पर्यटन विभाग के इसी मंच से किया जाता है।
रेल ग्राम में दिखता रेलवे का गौरवशाली अतीत
मुख्य जनसंपर्क पंडाल के ठीक सामने पूर्व मध्य रेल की प्रदर्शनी बन रही है। इस रेल ग्राम में रेल का संपूर्ण इतिहास चित्रों के माध्यम से दर्शाया जाता है। रेल ग्राम में बच्चों के लिए ट््वाय ट्रेन से लेकर खाने पीने के लिए रेस्टोरेंट की व्यवस्था होता है। इसी परिसर में विभिन्न विभागों की अपने-अपने अलग प्रदर्शनी स्टाल होते हैं।
मेले के दौरान नखास को मिलती खास पहचान
नखास में इस वर्ष भी हस्तशिल्प गांव बसाया जा रहा है। बड़े भू-भाग में फैले इस गांव में बंगाल, आसाम, तथा बिहार आदि राज्यों के हस्तशिल्प से निर्मित अनेक वस्तुओं की प्रदर्शनी होती है। कृषि प्रदर्शनी में खेती-बारी के वैज्ञानिक अत्याधुनिक तरीकों से किसानों को अवगत कराया जाता है। अनेक किस्म के औषधीय पौधों को भी प्रदर्शनी लगाया जाता है।